संत थॉमस एक्वीनास का जीवन परिचय- मध्य युग के सबसे महान् राजनीतिक चिन्तक सन्त थॉमस एक्वीनास का जन्म सन् 1225 में इटली के नेपल्स राज्य के रोक्का सेक्का नामक स्थान पर एक कुलीन परिवार में हुआ। आरंभिक शिक्षा समाप्त करने के बाद उसने नेपल्स में शिक्षा प्राप्त की जहाँ उसे प्राचीन युग के महान राजनैतिक चिन्तक अरस्तू के ग्रन्थों का अध्ययन करने का अवसर प्राप्त हुआ। प्रतिभाशाली होने के कारण उसके माता-पिता उसे राजकीय क्षेत्र में लाना चाहते थे लेकिन यह उनकी इच्छाओं का ठुकराकर धार्मिक क्षेत्र की ओर आकृष्ट हुआ तथा उच्च धार्मिक शिक्षा, प्राप्त करने के लिए नेपल्स से नंगे पाँव चलकर पेरिस पहुँचा और तत्कालीन युग के योग्यतम गुरु अलबर्ट महान का शिष्यत्व स्वीकार कर चार वर्ष तक अनवरत उच्च धार्मिक शिक्षा प्राप्त करता रहा। फलस्वरूप 1256 में पेरिस विश्वविद्यालय ने उसे धर्मगुरु की उपाधि प्रदान की। अपने अपना शेष जीवन ईसाई धर्म की अभिवृद्धि के लिए अध्यन अध्यापन और ग्रन्थ प्रणयन करते हुए व्यतीत किया। ईसाई धर्म की इस प्रकार सेवा करते हुए महान् विद्वान का 1274 ई. में सिर्फ 57 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
नीति निदेशक तत्वों का महत्व या उपयोगिता ।
रचनायें – सन्त थॉमस ने बहुत बड़ी संख्या में ग्रन्थों की रचना की जिनकी कुल संख्या 37 ग्रन्थ और 40 लघु ग्रन्थ के रूप में हैं। राजनीतिक की दृष्टि से उनका मुख्य ग्रन्थ ‘धर्मशास्त्र का सार’ या ‘सुम्मा दियोलाजिका’ है। इसके अतिरिक्त इस दृष्टि से उसके अन्य महत्वपूर्ण ग्रन्थ ‘राजाओं के नियम’ तथा ‘अरस्तु की राजनीति की टीका है। इन ग्रन्थों को लिखने हेतु उसने निगमनात्मक या दार्शनिक पद्धति का प्रयोग किया है।