संस्कृति का अर्थ एवं प्रकृति बताइए।

संस्कृति का अर्थ एवं प्रकृति ‘संस्कृति’ शब्द आंग्ल भाषा के (Culture) कल्चर शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है ‘कल्चर’ शब्द की उत्पत्ति लॅटिन भाषा के (Cultural) (कलदुरा नामक शब्द से हुई है, जिनका अर्थ है संस्कृति हिन्दी भाषा में संस्कृति शब्द की उत्पत्ति संस्कार से हुई है। इस प्रकार जो संस्कार व्यक्ति को सुसंस्कृत बनाते हैं, उसे संस्कृति नाम से सम्बोधित किय जाता है।

बच्चा इस व्यापक विश्व में पशुवत प्रवेश करता है पंशु होने के नाते उसमें कुछ आवश्यकतायें निहित होती है। इन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वह हाथ पैर हिलाता डुलाता है, रोता है. मां उसको दूध पिलाती है, नहलाती है कपड़े पहनाती है। धीरे-धीरे ये बड़ा होकर मां को पहचानने लगता है और बोली सीखने लगता है। 4-5 वर्ष का होने पर यह विद्यालय भेजा जाता है। स्कूल में उसे भाषा, कला, हिसाब, इत्यादि की शिक्षा मिलती है थोड़ा और बड़ा होने पर उसे विज्ञान कला औद दर्शन से प्राप्त ज्ञान सिखाया जाता है। वह समाज की रीतियों, प्रथाओं और रूढ़ियों से परिचित हो उनके अनुकूल व्यवहार करता है। इस प्रकार वह इन सब चीजों के बीच अपने व्यक्तित्व को विकसित कर लेता है। यह सब चीजें जो हमारे समाज ने प्रदान की है, हमारी सामाजिक विरासत है। इसी सामाजिक विरासत को ‘संस्कृति’ कहते हैं इसके अन्तर्गत मनुष्य निर्मित उस सम्पूर्ण व्यवस्था का समावेश होता है,

जिसके अन्तर्गत रीति रिवाज, रूड़ियां, परम्परायें, संस्थायें, सामाजिक संगठन, भाषा, धर्म, कला, विज्ञान, कानून, आर्थिक और राजनीतिक व्यस्था, मशीनों और उन सब उपकरणों का समावेश होता है, जो मनुष्य को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में सहायक है। यह संस्कृति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को प्राप्त होती है और प्रत्येक पीड़ी इनको परिवर्तित और परिवर्धित करती है इस प्रकार हम कह सकते हैं “मानव निर्मित उस सम्पूर्ण व्यवस्था का या मानव अर्जित उस ज्ञान को जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होता रहाता है तथा जिसका प्रत्येक पीड़ी परिवर्धित तथा परिवर्तित करती है, संस्कृति या सामाजिक विरासत कहते हैं।

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