संशोधित राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1992 में बालिकाओं के लिए शिक्षा का प्रसार निम्नलिखित प्रकार है।
- प्राथमिक स्कूलों के पास ई. सी. सी. ई. के केन्द्रों को स्थापित करना।
- जिन गाँवों की जनसंख्या 500 से कम है उनमें पैरा स्कूल को मिडिल स्कूल से जोड़कर चलाया जाए जो कि गाँवों के बीच में हों।
- प्रतिभावान बालिकाओं को छात्रवृत्ति दी जाए।
- काम करने वाले बच्चों को स्कूल भिजवाने के लिए उनके मालिकों के विरुद्ध कानूनी सहारा लिया जाए।
- बालिकाओं के लिए स्कूल की ड्रेस, पुस्तकें आदि उपलब्ध करायी जाएं।
- ऐसे स्थान जहाँ कोई मिडिल स्कूल नहीं है तथा जिनकी आबादी 500 या उससे अधिक है, वहाँ एक-एक मिडिल स्कूल खोला जाएगा।
- वे बालक जो बीच में विद्यालय छोड़ देते हैं, प्रवासी बच्चे तथा काम करने वाले बच्चों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए अनौपारिक पद्धतियों और सृजनात्मक तरीकों का लाभ उठाया जाए।
- बालिकाओं व महिला अध्यापकों के लिए छात्रावास की सुविधा उपलब्ध हो तथा महिला छात्रावास में एक महिला वार्डन को रखा जाए। आवास की सुविधा बढ़ाने के लिए कम खर्चे पर आवास की सुविधा उपलब्ध करायी जाए।
- विद्यालय के अध्यापकों तथा आँगनवाड़ी के कार्यकत्ताओं के बीच समन्वय स्थापित हो।
- काम करने वाले बच्चों व बालिकाओं के लिए विद्यालय के समय को कम करना तथा उसे लचीला बनाना।
- ऐसे स्थानों पर विद्यालय खोले जाएँ, जहाँ पर महिला साक्षरता की दर कम हो।
- महिला अध्यापकों की संख्या बढ़ायी जाए, लड़कियों से सम्बन्धित सभी शिकायतों को गम्भीरता से लिया जाए।
- ऐसे क्षेत्र जिनकी आबादी 300 तक है, इन क्षेत्रों में सन् 2000 तक कम से कम एक प्राइमरी स्कूल खोला जाए।
- लिंग भेद को समाप्त कर महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा में सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाए तथा उन्हें उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए।
प्राच्य पाश्चात्य विवाद के मुख्य कारण क्या थे? इसका अन्त किस प्रकार हुआ।
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