संसद की सर्वोच्चता की धारणा को स्पष्ट कीजिये।

संसद की सर्वोच्चता- प्रो० डायसी के शब्दों में, “कानूनी दृष्टि से संसद की प्रभुसत्ता हमारी राजनीतिक संस्थाओं की एक प्रमुख विशेषता है। संसद की प्रभुसत्ता के सिद्धान्त का अर्थ यह है कि ब्रिटिश संविधान के अनुसार संसद को हर प्रकार के कानून बनाने या परिवर्तित करने का अधिकार है। इसके अतिरिक्त इंग्लैण्ड के कानून द्वारा मान्य ऐसा कोई व्यक्ति या संस्था नहीं है जिसे संसद के कानूनों को तोड़ने या निष्फल करने का अधिकार हो।” सर एडवर्ड कोक के अनुसार, ” संसद की शक्ति और क्षेत्राधिकार इतना सर्वव्यापी और निरंकुश है कि उसे किसी कारण या व्यक्ति के लिए किसी प्रकार की सीमा में नहीं बाँधा जा सकता। संक्षेप में, वह ऐसे सब काम कर सकती है जो प्राकृतिक दृष्टि से असम्भव न हो।”

संविधान सभा के निर्माण पर टिपणी लिखिए।

संसद संविधान निर्माण सभा भी है और साधारण कानून बनाने वाली संस्था भी यह कोई भी कर लगा सकती है तथा चाहे तो राजतन्त्र का अन्त भी कर सकती है। 1936 में ऐन्डीकेशन एक्ट पास करके इसने राजा के उत्तराधिकार से सम्बन्धित नियमों को बदला। एडवर्ड अष्टम् को हटाकर उसके छोटे भाई जॉर्ज षष्ठम् को गद्दी पर बैठाया। संसद की सर्वोच्चता का दूसरा अर्थ यह है कि इंग्लैण्ड में न्यायिक पुनरीक्षण की कोई प्रथा नहीं है अर्थात् देश का कोई न्यायालय इसके निर्णयों को रद्द नहीं कर सका। इसके द्वारा किया गया प्रत्येक कार्य वैध तथा संवैधानिक है।, तीसरा, कार्यपालिका पूर्णतया संसद के अधीन है। वह इसी के विश्वास तथा इच्छा होने पर काम करती है।

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