संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee)- यह समिति भारत सरकार के आय-व्यय खाते की परीक्षण करने के लिए गठित की जाती है ताकि समिति यह परीक्षण कर सके कि सरकार की आय और व्यय सदन द्वारा पारित अनुदानों के अनुरूप है या नहीं।
सरकार की आय-व्यय के खाते का परीक्षण नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक करता है। सार्वजनिक लेखा समिति विनियोग खातों और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट पर विचार कर यह सुनिश्चित करता है कि जो व्यय विभिन्न मदों पर किए गए उनकी अनुमति सदन ने दी थी। या नहीं। समिति सरकार की आय और व्यय के खातों का परीक्षण करती है और उनकी वैधता सुनिश्चित करती है।
भारतीय संसद में विधि/कानून निर्माण प्रक्रिया।
इस समिति में 22 सदस्य होते हैं, 15 लोकसभा से और 7 राज्यसभा द्वारा निर्वाचित प्रत्येक सदस्य एक वर्ष के लिए निर्वाचित किया जाता है। कोई सदस्य लगातार 2 बार से अधिक निर्वाचित नहीं हो सकता। स्पीकर समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है। 1967-68 में सर्वप्रथम विपक्ष से अध्यक्ष का चयन किया गया था। तब से यही प्रथा चली आ रही है। समिति का नीतिपरक प्रश्नों से कोई सरोकार नहीं है परन्तु यदि समिति पाती है कि किसी नीति के वांछित परिणाम नहीं निकल रहे हैं या उससे व्यर्थ व्यय हो रहा है तो समिति नीति में परिवर्तन की संस्तुति सदन से कर सकती है।
समिति द्वारा आय और व्यय की जाँच अत्यन्त लाभकारी होती है, यद्यपि समिति आय प्राप्ति और व्यय होने के उपरान्त ही इनकी जाँच करती है। यह आभास कि कोई संसदीय समिति प्रशासन के कार्यों की जाँच करेगी। प्रशासन को सतर्क और जागरूक रखने के लिए पर्याप्त है।