संघर्ष के सामाजिक कार्य, परिणाम का वर्णन कीजिए।

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संघर्ष के सामाजिक कार्य, परिणाम

संघर्ष के सामाजिक कार्य का परिणाम निम्नलिखित हैं

1. संघर्ष अन्तः समूह में एकता व संगठन (Soliderity of the group) को पनपने में सहायक सिद्ध होता है। यह उस समय होता है जब संघर्ष दो समूहों के बीच होता है। उस अवस्था में एक समूह के सभी सदस्य अपने में एकता बनाए रखने के प्रति सचेत रहते हैं, जिससे वे सब मिलकर बाह्य-समूह (out-group) को मुंहतोड़ उत्तर दे सकें। चीन व पाकिस्तानी आक्रमणों के दौरान भारतवर्ष सभी सम्प्रदाय समूहों वर्गों और राजनीतिक दलों के बीच इसी प्रकार की सराहनीय एकता देखने को मिली है।

2. कभी-कभी संघर्ष समूह की एकता व संगठन में बाधा भी पहुँचाता है। यह तब होता है जब कि संघर्ष एक ही समूह के विभिन्न सदस्यों के बीच होता है। उदाहरणार्थ, पिता या लड़कों के बीच संघर्ष या भाई-भाई के बीच संघर्ष के फलस्वरूप एक संयुक्त परिवार या अधिक एकांकी परिवारों (single families) में बंट सकता है।

3. संघर्ष व्यक्तित्व के स्वस्थ विकास के लिए भी हितकर नही होता। जिस देश या परिवार में संघर्षात्मक परिस्थिति अधिक होती है उसके सदस्यों के व्यक्तित्व का सन्तुलित विकास नहीं हो पाता।

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4. संघर्ष जान और माल को भी बर्बाद करता है। विशेषकर युद्ध जैसे संघर्ष में तो जान और माल की इतनी क्षति हो सकती है कि उसकी पूर्ति सौ वर्षों में भी सम्भव न हो। हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन बम आदि के प्राकोप द्वारा होने वाले युद्ध तो मानव सभ्यता व संस्कृति के लिए भी भयंकर अभिशाप बन सकते है होरोशिमा और नागासाकी की बर्बादी की कौन नहीं जानता।

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