संगम युग के महाकाव्य शिलप्पादिकारम् का वर्णन कीजिए।

0
37

संगम युग के महाकाव्य शिलप्पादिकारम् – गम युग में कुल पाँच महाकाव्य है शितप्पादिकारम्, मणिमेखले, जीवक वलयपति तथा कुण्डलकेशि। इनमें प्रथम तीन ही उपलब्ध हैं। यद्यपि ये ग्रन्थ संगम

साहित्य के अन्तर्गत नहीं आते तथापि इनसे तत्कालीन जन-जीवन के विषय में अच्छी जानकारी प्राप्त होती है। इन महाकाव्यों के रचनाकाल को तमिल साहित्य का स्वर्णयुग कहा जाता है।

प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई ?

शिलप्यादिकारम् (नूपुर की कहानी)

लेखकलांगो आदिगल (रसका भाई इसका लेखक जैन माना जाता है। इसका नायक कोवलन एक व्यवसायी तथा नायिका कण्णगी एक व्यापारी की कन्या है। इसकी कथा कावेरीपत्तनम से संबंधित है जिसमें नायक कोवलन बाद में माधवी नामक वेश्या से प्रेम करने लगता है। बहुत उतार-चढ़ाव के बाद कोवलन को पाण्ड्य शासके नेडुजेलियन द्वारा फाँसी दे दी जाती है कण्णगी द्वारा अपने पति को जली को निर्दोष सिद्ध कर देने के बाद पाण्ड्य शासक नेहुंजेलियन की आत्मग्लानि से राजसिंहासन पर ही मृत्यु हो गई। तत्पश्चात कण्णगी ने अपनी क्रोधाग्नि से मदुरा डाला तथा चेर राज्य में चली गई। वहीं पहाड़ी पर उसकी मृत्यु हो गई। इस प्रकार इस महाकाव्य में कोवलन तथा कण्णगी की दुर्भाग्यपूर्ण कथा का वर्णन है। इस ग्रंथ को तमिल साहित्य का इलियड माना जाता है।

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here