सम्प्रेषण तकनीकी – जन्म लेने के बाद बच्चा जब पहली बार रोता है तो यह समाज के साथ उसका पहला सम्प्रेषण होता है। उसके बाद प्रत्येक क्षण और आजीवन सम्प्रेषण आदि के माध्यम से परस्पर सम्प्रेषण करते चलते हैं। इसके लिए हम अपनी समस्त ज्ञानेन्द्रियों अर्थात् आँख, कान, हाथ और अपने शरीर के समस्त अंगों का उपयोग करते हैं।
सम्प्रेषण का अर्थ मात्र सूचनाओं का संचार करना नहीं है। सम्प्रेषण का अर्थ है मनुष्यों के भावों, विचारों, संवेदनाओं और मानवीय और मानवीय क्रियाओं का व्यक्ति से व्यक्ति की तरफ संचार, यही संचार सम्बन्ध है। यह प्रक्रिया समाज सापेक्ष है। व्यक्ति ने सम्प्रेषण की आवश्यकता सिर्फ सम्प्रेषण के लिए ही महसूस नहीं की थी, वरन सम्प्रेषण की जरूरत उसे श्रम की प्रक्रिया के दौरान महसूस हुई। श्रम की प्रक्रिया के स्थिति में ही सम्प्रेषण तकनीकी के विभिन्न रूपों का जन्म हुआ। सम्प्रेषण तकनीकी का जन्म मनुष्य की सीखने और सीखे हुए को ठोस रूपों में व्यक्त करने के संघर्ष की प्रक्रिया में हुआ था। यह प्रक्रिया मस्तिष्क से संचालित होती है। पर मस्तिष्क की गतिविधि स्वायत्त नहीं है, वह भौतिक पदार्थों से क्रिया प्रतिक्रिया में ही अपने प्रेरक एक तत्वों को संग्रहीत करती है तथा उन्हें रूपान्तरित भी करती है।
सम्प्रेषण तकनीकी के रूपों का तत्कालीन समाज के उत्पादन सम्बन्धों की स्थिति से द्वंद्वात्मक सम्बन्ध होता है। इसलिए सम्प्रेषण तकनीकी और संचार की प्रक्रिया का अध्ययन उत्पादन सम्बन्धों के स्वरूप और प्रकृति से विच्छिन्न करके नहीं किया जा सकता है।
गहड़वाल नरेश विजयचन्द्र की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
सम्प्रेषण मात्र संचार भर नहीं होता है, अपितु सामाजिक प्रक्रिया को निर्धारण करने का महत्वपूर्ण तत्व है। सम्प्रेषण तकनीकी के नित्य नूतन विचार की प्रक्रिया के पीछे मनुष्य के कार्य की दिशा की ओर आगे बढ़ने की इच्छा शक्ति और सक्रियता की बहुत बड़ी भूमिका रही है। कार्य की प्रक्रिया में और कार्य के द्वारा ही जीवित प्राणियों को एक दूसरे से कुछ कहने की अनिवार्य आवश्यकता महसूस हुई और इसी कारण सम्प्रेषण तकनीकी का जन्म हुआ।
- Top 10 Best Web Hosting Companies in India 2023
- InCar (2023) Hindi Movie Download Free 480p, 720p, 1080p, 4K
- Selfie Full Movie Free Download 480p, 720p, 1080p, 4K
- Bhediya Movie Download FilmyZilla 720p, 480p Watch Free