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सम्प्रेषण के रूप बताइए?

सम्प्रेषण के रूप – सम्प्रेषण के निम्नलिखित रूप हैं

(1) मौखिक सम्प्रेषण-

अधिकतर सम्प्रेषण बोलकर ही किया जाता है। सुबह उठते ही बोलने की प्रक्रिया के साथ सम्प्रेषण शुरू होता है और रात में विस्तर पर जाने तक बोलने का यह क्रम चलता रहता है।

(2) आंगिक सम्प्रेषण-

मनुष्य केवल बोलकर ही अपनी बात सम्प्रेषित नहीं करता है। उसके सभी अंग आंख, हाथ, पैर, कन्धे सब सम्प्रेषण में सहयोग देते हैं। यह आंगिक या अमौखिक सम्प्रेषण है। आंगिक सम्प्रेषण की शुरूआत आप की वेशभूषा और व्यक्तित्व से होती है। आप जैसे ही किसी अधिकारी के कमरे में प्रवेश करते हैं वह आपकी वेशभूषा और व्यक्तित्व से आप के बारे में धारणा बनाने लगता है। आप उसके सामने कैसे खड़े रहते हैं, कैसे बैठते हैं, इसका भी काफी प्रभाव पड़ता है।

आँखें आंगिक सम्प्रेषण का सबसे सशक्त माध्यम है। जब कोई प्रसन्न होता है, तो कहतें हैं उसकी आँखे हंस रही है। अपनी आँखों के द्वारा आप न केवल प्रसन्नता या अप्रसन्नता प्रकट करते हैं वरन् दूसरे तक सम्प्रेषित करते हैं।

(3) लिखित सम्प्रेरण

व्यक्ति बोलकर और देखकर सम्प्रेषण करते ही हैं लेकिन लिखकर भी अपनी बात दूसरों तक पहुंचाते हैं। लिखना एक कला है। योजनाबद्ध ढंग से लिखकर आप अपनी बात सही ढंग से संप्रेषित कर सकते हैं। किसी भी प्रकार का लेखन करने के लिए पाँच बातों का ध्यान रखना चाहिए, क्या, क्यों, कौन, कब और कैसे पाँच बातों को ध्यान में रखकर लिखने से आप सन्देश ठीक ढंग से प्राप्तकर्त्ता तक पहुंचा सकते हैं।

गोत्र की प्रमुख विशेषतायें बताइये।

(4) संचार माध्यम

संचार माध्यम सम्प्रेषण का एक सशक्त माध्यम है। रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्र, होर्डिंग, विल, पैम्फलेट, इन्टरनेट आदि जनसंचार माध्यम अपनी माध्यमगत विशिष्टता के अनुसार सम्प्रेषण करते हैं। रेडियो आवाज के माध्यम से जन-जन तक संचार का सम्प्रेषण करते हैं। टेलीविजन, कम्प्यूटर फिल्म, वीडियो, इन्टरनेट जैसे दृश्य माध्यम भी सम्प्रेषण के सशक्त माध्यम हैं इसके अलावा सड़क के किनारे लगे बड़ी-बड़ी कम्पनियों के होर्डिंग, समाचार पत्रों के विज्ञापन, खतरे सम्बन्धी सूचनाएँ, यातायात संकेत, टेलीफोन पर होने वाली बातचीत आदि सम्प्रेषण के कई रूप हैं।

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