सम्प्रेषण के घटकों की विवेचना कीजिए?

सम्प्रेषण प्रक्रिया के घटक (Components of Communication Porcess) सम्प्रेषण प्रक्रिया मुख्यतः निम्नलिखित घटकों पर आधारित होती है

  1. प्रेषक (Sender)
  2. संदेश (Message)
  3. प्रतिपुष्टि (Feedback )
  4. माध्यम(Media)
  5. प्रापक (Receiver),

इन घटकों की विस्तृत रूप से निम्न प्रकार से विशेषता है

(1) प्रेपक (Sender of Communication)-

सम्प्रेषण प्रक्रिया को शुरू करने वाला प्रेषक ही होता है। प्रेषक अपनी योग्यता, अभिक्षता एवं अनुभव द्वारा संदेश का चयन करता है। तथा उसकी सरलीकृत विवेचना एवं व्याख्या भी करता है, जिससे लोग आसानी से समझ सकें। तत्पश्चात् वह अपने सरल किये गये संदेश को लोगों तक भेजने के लिए उपयुक्त माध्यम का चयन करके, उस संदेश से भिन्न प्रापक (Receiver) का भी चुनाव करता है। क्योंकि यदि प्रापक उस संदेश का जानकार नहीं होगा तो वह उसके प्रति-क्रिया नहीं कर पायेगा, न ही प्रेषक के संदेश को समझ ही पायेगा। इस प्रकार सम्प्रेषण प्रक्रिया में प्रेषक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। प्रेषक अपनी विद्वता, वाकपटुता, प्रभावशाली व्यक्तित्व तथ्यों से सम्बन्धित पूर्ण ज्ञान के द्वारा ही प्रापक में एक अन्य जन सामान्य में सामाजिक परिवर्तनों को लाने में समर्थवान बनता है। इसके अतिरिक्त प्रेषक को सुचितापूर्ण आचार- व्यवहार करणीय कर्तव्य, निर्णय क्षमता एवं कार्य के प्रति सजगता, विद्वता, मित्रवत् भावना, सहिष्णुता, सत्यता एवं विश्वसनीयता के गुणों से भी अलंकृत होना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति के द्वारा दिये गये संदेश को ही लोग विश्वसनीय, वैध और प्रामाणिक मानते हैं।

(2) माध्यम (Media)-

माध्यम (Media) प्रेषक और प्रापक के बीच मेल कराते हैं। यह दोनों के बीच मध्यस्थता का कार्य करता है। प्रेषक का कोई भी संदेश माध्यम द्वारा ही विचारित होता है और जनसामान्य को उसकी जानकारी होती है। वर्तमान समय में अनेको सम्प्रेषण माध्यम प्रचलित हैं, जैसे- रेडियो, टेलीविजन, ओवर हेड प्रोजेक्ट, फैक्स, टेलीफोन, वी. सी. आर. इत्यादि। इन माध्यमों के अतिरिक्त शैक्षिक प्रमाण पत्र एवं उपाधियों को प्राप्त करने एवं विविध नवीन शैक्षिक सूचनाओं की जानकारी के लिए पत्राचार संस्थान मुक्त विद्यालय/विश्वविद्यालय भी एक अच्छे माध्यम के रूप में कार्य कर रहे हैं। इन माध्यमों का सम्मिलित रूप से उपयोग कर सकता है। किन्तु प्रेषक को माध्यम का चयन करते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि वह जिस माध्यम का उपयोग कर रहा है। उसकी उपलब्धता प्रापक को है? क्या उसके संदेश को ज्ञानात्मक, भावात्मक एवं क्रियात्मक तीनों रूपों के अभिव्यक्तिकरण में वह माध्यम काम में लाया जा सकेगा? माध्यम सर्वसुलभ, सस्ता, लोकप्रिय, व्यावहारिक क्रिया-विधि को जानने वाला होना चाहिए।

(3) संदेश (Message)-

प्रेषक एवं माध्यम की सफलता का मूलाधार संदेश होता है। संदेश या विषयवस्तु के बिना सम्प्रेषण की प्रक्रिया नहीं चल सकती है। प्रेषक लक्ष्यपूर्ति के निमित्त संदेश सम्प्रेषित करता है। प्रापक, प्रेषक द्वारा भेजे गये संदेश को जरूरत के अनुसार अंगीकार करता है। यदि उसे किसी शान, विचार की आवश्यकता नहीं होती तो उसके लिए संदेश कोई मायने नहीं रखता। अतएव संदेश प्रेषक और प्रापक दोनों की आवश्यकता के आधार पर सफलीभूत होता है।

(4) प्रापक (Receiver) –

सम्प्रेषण प्रक्रिया में आपक एक महत्वपूर्ण घटक होता है। वस्तुतः सम्प्रेषण की प्रक्रिया प्रेषक एवं प्रापक के बीच ही चलती है, इसी कारण इसे द्विमुखीय था द्विध्रुवीय प्रक्रिया माना जाता है। इनके अतिरिक्त इसके अन्य घटक माध्यम का कार्य करते हैं। प्रापक को अन्य नामों जैसे प्राप्तकर्ता, ग्रहणकर्ता विषयी, इत्यादि से भी सम्बोधित किया जाता है।

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(5) प्रतिपुष्टि (Feed Back ) –

जिस प्रकार अधिगम की प्रक्रिया में सीखने वाला व्यक्ति को सीखने की और उत्सुक करने के बीच-बीच में पुनर्बलन या पृष्ठपोषण दिया जाता है, जिससे सीखने में तारतम्यता, क्रमबद्धता एवं ध्यान की एकाग्रता बनी रहे, उसी प्रकार सम्प्रेषण की प्रक्रिया में भी प्रापक को समय-समय पर प्रतिपुष्टि देना आवश्यक होता है। प्रापक को प्रतिपुष्टि मिलते रहने पर वह संदेश के प्रति जागरूक रहता है, वह संदेश को ऊबकर त्यागना नहीं चाहता, उदाहरणार्थ-क्रिकेट मॅच में टेलीविजन देखते समय जब तक कोई विकेट नहीं गिरता तब तक देखने वाले को मजा नहीं मिलता, किन्तु जब विकेट जल्दी जल्दी गिरना चालू हो जाय तो देखने वाले को प्रतिपुष्टि मिलती है। और वह अन्त तक टेलीविजन से चिपका रहता है। अतएव सम्प्रेषण प्रक्रिया की सफलता में प्रतिपुष्टि महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। प्रतिपुष्टि से प्रापक में नये जोश का संचार होता है और प्राप्त संदेश को वह करके देखने एवं उनकी व्यावहारिकता की ओर प्रेरित होता है। उसकी ज्ञानात्मक एवं भावनात्मक विचारधाराएं क्रियात्मकता की ओर अग्रसर होती हैं।

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