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सम्प्रेषण का प्रयोजन क्या है?

सम्प्रेषण का प्रयोजन सम्प्रेषण के विविध रूपों की जानकारी प्राप्त करने के बाद इस प्रश्न पर विचार करना आवश्यक हो जाता है कि सम्प्रेषण का प्रयोजन क्या है? मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला नहीं रह सकता है। वह सम्प्रेषण के द्वारा ही समाज से जुड़ता है। सम्प्रेषण के प्रयोजन निम्नलिखित है-

(1) व्यक्तिगत यह प्रयोजन अपने आप में स्पष्ट है कि लोग काम करने, खाने पीने, रहने प्यार और जीवन से जुड़े सभी व्यक्तिगत पहलुओं के लिए सम्प्रेषण करते हैं अपनी जरूरतें पूरी न होने पर उसकी मांग करते हैं।

(2) व्यक्तिगत सम्बन्ध-जब भी हम किसी रिश्तेदार, मित्र या जान-पहचान वाले से मिलते हैं। तो सबसे पहला प्रश्न यही होता है कि कैसे हैं आप? इसके पश्चात् लोग अपनी आँख, हाथ, शब्द और भाव-भंगिमा से भी दूसरों से सम्बन्ध बनाने का प्रयास करते हैं।

(3) सूचना-हमें कई प्रकार की सूचनाएँ प्राप्त करनी होती हैं। सूचना संग्रहण का कार्य बचपन से ही शुरू होता है। जब वह पहली बार पूछता है यह क्या है? सूचना संग्रहण की यह प्रक्रिया आजीवन चलती रहती है। जनसंचार माध्यमों के विकसित होने से सूचना क्षण भर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक तीव्रता से पहुँचाना सम्भव हो गया है।

(4) आपस में बातचीत अपनी बात दूसरों तक पहुँचाने और दूसरे की बात सुनने के लिए भी सम्प्रेषण सम्पन्न होता है। ‘गप्य’ सम्प्रेषण का एक अच्छा और मनोरंजक उदाहरण है। लोगों को ‘गप्प’ मारने में बड़ा ही आनन्द आता है। इसके द्वारा हम एक दूसरे की भावनाओं, विचारों, दृष्टिकोणों को जानने-समझने का प्रयास करते हैं।

(5) आग्रह विज्ञापन इस प्रकार के सम्प्रेषण का ज्वलंत उदाहरण है। विज्ञापन का निर्माण इस प्रकार किया जाता है कि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को पसन्द आये। रेडियो, टेलीविजन, और समाचार पत्र के विज्ञापनों को याद कीजिए तथा याद कीजिए कि शैम्पू, टूथपेस्ट, साबुन, डिटर्जेंट पाउडर आदि के विज्ञापन में किस प्रकार से ग्राहकों से आग्रह किया जाता है। उसे कई तरीकों से लुभाने का प्रयास किया जाता है। इस प्रकार के सम्प्रेषण में ग्राहक की आकांक्षा, इच्छा, लोभ अन्य व्यक्तिगत कमजोरियों का लाभ उठाया जाता है।

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(6) मनोरंजन यह भी मनुष्य की जरूरत है। हँसना, हंसाना, दूसरे के दुःख-सुख में हिस्सा लेना, यह सब मनुष्य की स्वाभाविक वृत्तियों में शमिल है। मनोरंजन के लिए लोग सिनेमा. देखते हैं, टी. वी. देखते हैं, घूमने-फिरने जाते हैं। यहाँ तक कि कुछ लोग मनोरंजन के लिए पढ़ते भी हैं। इन कारणों से सम्प्रेषण की जरूरत पड़ती है।

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