समान रक्त सम्बन्धी नातेदारी पर टिप्पणी लिखिए।

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समान रक्त सम्बन्धी नातेदारी इस प्रकार की नातेदारी प्रमुख और विस्तृत रूप से रक्त सम्बन्धों पर आधारित होती है तथा इसमें प्राणिशास्त्रीय, रक्त सम्बन्धी एवम् उत्तराधिकारी रूप में गोद या दत्तक के रूप में लिये गये सम्बन्धी भी सम्मिलित होते हैं। माता-पिता तथा उनकी संतानों के सम्बन्ध रक्त पर ही आधारित होते हैं। संतानें अपने माता-पिता के जींस ग्रहण करती है। इस संदर्भ में यह मान्यता है कि उनमें समान रक्त पाया जाता है। इस दृष्टि से भाई-बहनों में भी रक्त सम्बन्ध होते हैं। इसी प्रकार से एक व्यक्ति के माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी, चाचा, मामा, बुआ आदि भी रक्त सम्बन्धी होते हैं। गोद लिए हुए व्यक्ति को यदि समाज ने स्वीकृति प्रदान की है, तो उसे रक्त सम्बन्धी माना जाता है।

प्रजातंत्र में शिक्षा के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।प्रजातंत्र के लिए शिक्षा की क्या आवश्यकता है।

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