समाजीकरण के प्रमुख उद्देश्य – समाजीकरण के प्रमुख उद्देश्य निम्न प्रकार हैं।
(1) सामाजिक भूमिकाओं को निभाने की सीख
समाजीकरण द्वारा व्यक्ति को अपनी सामाजिक भूमिका निभाने और उससे सम्बन्धि अनिवृतियों को सिखाने का कार्य भी किया जाता है। समूह की सदस्यता की मांग है कि व्यक्ति सामान्य योग्यता के साथ-साथ विशिष्ट भूमिकाओं को निभाने की योग्यता भी प्राप्त करें। व्यक्ति समाज में अनेक पद ग्रहण करता है। और कई लोगों के सम्पर्क में आता है। प्रत्येक पद एवं व्यक्ति के सन्दर्भ में उसे एक विशेष प्रकार की भूमिका निभानी होती है जो समाजीकरण के द्वारा ही सीखी जाती है।
(2) आधारभूत नियमबद्धता का विकास
सामाजिक जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए अनुशासन एवं नियमबद्धता आवश्यक है। समाजीकरण के द्वारा व्यक्ति में नियमबद्धता और अनुशासन उत्पन्न किया जाता है। समाजीकरण की प्रक्रिया व्यक्ति को अपने लक्ष्यों की प्राप्ति तत्काल ही करने पर जोर नहीं देती वरन् परिस्थिति के अनुसार लक्ष्यों को आगे के लिए स्थगित करना, छोड़ देना अथवा संशोधित करना भी सिखाती है।
(3) क्षमताओं का विकास
समाजीकरण का उद्देश्य व्यक्ति में ऐसी क्षमताएँ पैदा करना है जिससे कि यह अपने को समाज के अनुकूल बना ले। सरल समाजों के परम्परागत व्यवहार पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरित होते रहते हैं और सामान्यतः अनुकरण के द्वारा उन्हें सीखा एवं दैनिक जीवन में प्रयोग में लाया जाता है, किन्तु उच्च तकनीकी ज्ञान के परिपूर्ण समाजों में औपचारिक शिक्षा द्वारा सामाजिक क्षमताओं का विकास करना समाजीकरण का प्रमुख कार्य है।
शिक्षा द्वारा संवैधानिक मूल्यों के क्या उपदेश दिये गये है? स्पष्ट कीजिए।
(4) आकांक्षाओं की पूर्ति
समजीकरण आकांक्षाओं की पूर्ति भी करता है। समाज सामान्य सांस्कृतिक मूल्यों का ही संचारण नहीं करता है वरन् विशिष्ट आकांक्षाएं भी पैदा करता है। उदाहरण के लिए, धर्म कुछ लोगों में पुरोहित बनने की इच्छा पैदा करता है। उच्च एवं विकसित अर्थव्यवस्था लोगों में व्यापारी, वैज्ञानिक एवं इन्जीनियर बनने की इच्छा जाग्रत करती है।
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