Sociology

समाजशास्त्र में अन्तर सांस्कृतिक उपागम से क्या अभिप्राय है?

समाजशास्त्र में अन्तर सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य का तात्पर्य है विभिन्न संस्कृतियों के बीच परस्पर समन्वयात्मक दृष्टिकोण विकसित करना। विभिन्न सभ्यताओं व सभाओं की अलग-अलग संस्कृति होती है तथा उन सभी में आपस में एक सामंजस्य उत्पन्न करने के लिए उनमें एक समझदारी व साझेदारी विकसित होती है। इसे ही अन्तर-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य कहते हैं। अनेक संस्कृतियों के मध्य आपसी समझदारी विकसित करने की प्रवृत्ति का ही परिणाम है कि प्रत्येक संस्कृति के जन्म से पहले जिस पृष्ठभूमि में उसका विकास होता है, उसे विभिन्न धर्म, प्रथा, संरक्षण, रूड़ियां, मूल्य, आदर्श व विश्वास प्रभावित करते हैं। लोगों के बीच होने वाली अन्तः क्रिया और सामाजिक सम्बन्धों को अनेक प्रकार से प्रभावित करती है।

आर्थिक संस्था का अर्थ व परिभाषा लिखिए।

इसके द्वारा ही यह निर्धारित होता है कि कौन किसके साथ सम्बन्ध स्थापित करेगा तथा किसके साथ कैसा व्यवहार करेगा। इसी पृष्ठभूमि में विकसित होने बाले विभिन्न संस्कृतियों के परिप्रेक्ष्य को अन्तर-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य कहते हैं।

    About the author

    pppatel407@gmail.com

    Leave a Comment