समाजशास्त्र और राजनीतिशास्त्र मध्य सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए

समाजशास्त्र एवं राजनीतिशास्त्र

समाजशास्त्र एवं राजनीतिशास्त्र के मध्य घनिष्ठ सम्बन्ध है। राजनीतिशास्त्र के अन्तर्गत कानून, राज्य, संप्रभुता एवं प्रशासन आदि का अध्ययन किया जाता है। परन्तु किसी भी देश की राजनीतिक प्रक्रिया वहाँ की सामाजिक परिस्थितियों एवं संस्कृति से जुड़ी होती है अतः समाजशास्त्र का राजनीतिशास्त्र से गहरा सम्बन्ध है। मैक्स वेबर एवं परेटो (Pareto) ने कुछ राजनीतिक प्रक्रियाओं का समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से अध्ययन किया है, जिससे इनके बीच गहरा सम्बन्ध होने का आभास मिलता है।

राजनीतिक व्यवस्था काफी हद तक हमारी सामाजिक व्यवस्था की देन होती है। विश्व के विभिन्न देशों में प्रजातंत्र सफल नहीं हो पाया है। पड़ोसी देशों में भी तानाशाही देखने को मिलती है, परंतु

भारत के मूल्य प्रतिमान आदि कुछ ऐसे रहे हैं जो प्रजातांत्रिक व्यवस्था के पक्ष में अधिक जाते हैं। आधुनिक भारत की राजनीतिक प्रक्रियाएँ काफी हद तक सामाजिक परिस्थितियों से संचालित हैं। मतदान- व्यवहार में जाति का योगदान तथा अन्य सामाजिक कारणों का योगदान जैसे क्षेत्रीयता, सामाजिक पिछड़ापन आदि यह सिद्ध करते हैं कि राजनीतिक प्रक्रियाएँ सामाजिक परिस्थितियों से प्रभावित होती है।

अन्तर- इनके मुख्य कतिपय अन्तर भी दिखाई पड़ते हैं, जो निम्नलिखित हैं

  1. समाजशास्त्र में अध्ययन की इकाई राजनीतिशास्त्र की तुलना में छोटी होती है, जैसे- समाज, संस्कृति, परिवार, समूह आदि। लेकिन, राजनीतिशास्त्र में अध्ययन की इकाई बड़ी हो सकती है जैसे राज्य, अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध आदि।
  2. राजनीतिशास्त्र हमारे सामाजिक जीवन के केवल राजनीतिक पक्ष का अध्ययन करता है, जबकि समाजशास्त्र सामाजिक जीवन की संपूर्णता का
  3. समाज के सभी प्रकार के संघर्ष एवं सहयोग की प्रक्रिया का अध्ययन समाजशास्त्र में होता है, जबकि राजनीतिशास्त्र में उन संघर्षों या सहयोगात्मक प्रक्रियाओं का अध्ययन होता है जिनका सम्बन्ध राज्य या उसके संगठनों से होता है।

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