स्पष्ट कीजिए ‘समाज सामाजिक सम्बन्धों का जाल है।’

समाज सामाजिक सम्बन्धों का जाल- मैकाइवर एवं पेज ने समाज को ‘सामाजिक सम्बन्धों का जाल कहा है।’ समाजशास्त्र समाज का विज्ञान है और समाज सम्बन्धों का जाल है। इसलिए हम कह सकते हैं कि समाजशास्त्र की अध्ययन – वस्तु सामाजिक सम्बन्ध ही है, क्योंकि सामाजिक सम्बन्धों से ही समाज का निर्माण होता है। सामाजिक सम्बन्ध अनेक प्रकार के हो सकते हैं; जैसे- पारिवारिक, शैक्षिक, धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक सम्बन्ध। ये सभी सम्बन्ध धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक होते हुए भी सामाजिक है क्योंकि इनका अस्तित्व भी सामाजिक ढाँचे के अन्तर्गत होता है।

संविधान का महत्ता क्या हैं?

एक अर्थशास्त्री केवल एक आर्थिक प्राणी ही नहीं बल्कि मौलिक रूप से एक सामाजिक प्राणी भी है। इस प्रकार प्रत्येक प्रकार के सम्बन्धों को चाहे वह आर्थिक हो या धार्मिक या राजनीतिक, एक सामाजिक आधार अवश्य होता है जिसे किसी न किसी प्रकार के सामाजिक सम्बन्धों के आधार पर बतलाया जा सकता है तथा उन्हीं सामाजिक सम्बन्धों का अध्ययन करना समाजशास्त्र का मुख्य कार्य है।

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