Sociology

समाज के लिए सामाजिक स्तरीकरण क्यों आवश्यक है ?

समाज के लिए सामाजिक स्तरीकरण

समाज के लिए सामाजिक स्तरीकरण – सामाजिक स्तरीकरण एक सार्वभौमिक प्रक्रिया के रूप में विश्व के समस्त समाज में किसी न किसी रूप में अवश्य विद्यमान रहा है। यह सत्य है कि इसका रूप समय के साथ बदलता रहा है। प्राचीन काल के समाज में शासक और शासित अथवा मालिक और कृषक तथा दास के रूप में स्तरीकरण की प्रक्रिया की झलक मिलती है। भारतवर्ष में जातिप्रथा स्तरीकरण का मुख्य आधार है। जो कि आज बढ़ती हुई सामाजिक जटिलता एवं परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण क्रमश: वर्ग का रूप लेती जा रही है।

अतः निष्कर्ष यह है कि यह सदैव समाज में किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। पर अब प्रश्न यह उठता है कि आखिर इसमें ऐसे कौन से गुण हैं जिसके कारण यह सार्वभौमिक प्रक्रिया मानी जाती है इसका स्पष्ट उत्तर है समाज के लिए इस व्यवस्था की देन जिसने कि सामाजिक व्यवस्था को व्यवस्थित रखने के साथ-साथ स्थायित्व भी प्रदान किया है।

प्रत्येक समाज का एक निश्चित उद्देश्य होता है। एक तरफ वह व्यक्तियों में विभिन्न स्थितियों को प्राप्त करने की इच्छा पैदा करता है। समाज में ऐसे पद होते हैं जिस पर कार्य करने के लिए विशेष प्रतिभा, शैक्षणिक योग्यता एवं ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है। समाज सदैव इस बात का प्रयास करता है कि अधिक ऊंचे पद पर अधिक योग्य व्यक्ति पदासीन हों और निम्न पदों पर साधारण व्यक्ति तथा इन पर कार्य करने वाले व्यक्तियों को समाज सदैव विभिन्न रूपों में पुरस्कृत करता है। चूँकि विभिन्न पदों और अधिकारी में असमानता होना स्वाभाविक है इसलिए समाज में स्तरीकरण का होना भी स्वाभाविक है।

अलबरूनी के भारत विवरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

About the author

pppatel407@gmail.com

Leave a Comment