सल्तनतकाल में उमरा वर्ग की स्थिति पर प्रकाश डालिए।

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सल्तनतकाल में उमरा वर्ग की अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थिति थी। शासन में सुल्तान और उसके परिवार के बाद उमरा वर्ग का ही स्थान था। उमरा वर्ग सुल्तान की शक्ति पर प्रभावशाली नियन्त्रण रखते थे। कोई भी सुल्तान अपनी स्थिति को सैकट में डालकर ही शक्तिशाली सरदारों को अप्रसन्न कर सकता था। इनमें से कुछ सरदार व अमीर कुछ वंशों के प्रधान होते थे और इसलिए उनको स्थायी पद प्राप्त था। उन पर सुल्तान की इच्छा थोपना संभव नहीं था। वे अपने को सुल्तान के समान मानते थे और अपने को शाही वंशों का संस्थापक समझते थे। उनका सुल्तान के साथ सम्बन्ध सुल्तान के चरित्र व योगयता के अनुसार बदलता रहा था। इस्लाम की सेवा ही वह आदर्श था जो सरदारों को एकता में बांधे रहता था।

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यह समझा जाता था कि राज्य के बिना धर्म व्यर्थ है और धर्म के बिना राज्य पथ प्रदर्शन रहित है। इन्हीं भावनाओं ने उमरा वर्ग को एक साथ बांधे रखा और उन लोगों ने सुल्तान का तब तक आज्ञापालन किया जब तक उन्होंने यह समझा कि वह अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा है। यदि उसे अयोग्य पाया गया तो सरदारों ने उसे विरुद्ध विद्रोह करने में कोई संकोच नहीं किया।

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