सल्तनत काल में आय के प्रमुख श्रोत निम्नलिखित थे
(1) उश्र
यह एक भूमिकर था जो मुसलमानों से लिया जाता था।
( 2 ) खिराज
यह गैर मुस्लिम (हिन्दुओं) से लिया जाने वाला भूमि कर था जो 1/3 से 1/2 भाग तक था।
( 3 ) खम्स
यह राज्य की वह आय थी जो आक्रमण करने पर शत्रु राज्य से प्राप्त होती थी। कुल सम्पत्ति का 1/5 भाग पर राज्य का अधिकार होता था।
(4) जज़िया
यह जिम्मी (गैर मुस्लिमों) से उनकी सुरक्षा के बदले लिया जाने वाला कर था। यह कर केवल सम्पन्न गैर मुस्लिम पुरुषों से लिया जाता था। यह 12, 24 या 48 दिरहम होता था।
(5) जकात
यह मुसलमानों से लिया जाने वाला धार्मिक कर था। यह उनकी सालाना आय का ढाई प्रतिशत था लेकिन इस धन को मुसलमानों के ही हितों और कल्याण के लिए खर्च किया जाता था।
( 6 ) अन्य साधन
उपरोक्त साधनों के अतिरिक्त खानों, भूमि में गढ़े हुए खजाने, आदि आय के अन्य साधन थे। विभिन्न सुल्तानों ने अलग-अलग समय पर गृहकर, चारागाह कर सिंचाई कर आदि भी लगाया जो राज्य की आय के अन्य साधन थे।
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सल्तनत कालीन राजकीय व्यय के साधन
सल्तनत काल में व्यय के प्रमुख साधन सेना का वेतन और उसका रखरखाव, विभिन्न अधिकारियों के वेतन, सड़कों इमारतों आदि के निर्माण में आने वाले खर्च और शासन की ओर से दी जाने वाली वित्तीय सहायता आदि थे।