सैय्यद वंश के खिज्र खाँ – चित्र खां एक कुशल और योग्य व्यक्ति था। यह उदार, बुद्धिमान और न्यायप्रिय व्यक्ति था। उसका चरित्र भी अच्छा था। महमुदशाह के अन्तिम दिनों में दिल्ली में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी। ऐसी स्थिति में खिल खाँ ने अपनी शक्ति संगठित कर दिल्ली पर अधिकार कर सैय्यद वंश की स्थापना की। खियखों ने सुल्तान की उपाधि धारण नहीं कि बल्कि तैमूर का प्रतिनिधि बन कर दिल्ली पर शासन किया। वह एक उदार शासक था। इसीलिए वह प्रजाप्रिय बन सका।
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किन्तु अपनी योग्यता का वास्तविक उपयोग नहीं कर पाया। उसके कार्यकाल का अधिकांश समय समस्याओं से जूझने में ही व्यतीत हुआ। उसने अपने राज्य की सीमा में अराजकता और व्यवस्था को समाप्त करके अमन-चैन कायम करने का प्रयास किया, और उसकी सम्पूर्ण शक्ति और ऊर्जा इसी में व्यय हो गयी।
इस पर भी उसने जातीय संकीर्णता और धार्मिक कट्टरता से स्वयं को बचाये रखा। उसके शासन काल में जनता प्रायः संतुष्ट रही। छोटे-छोटे विद्रोह तो होते रहे लेकिन कोई बड़ा विद्रोह नहीं हुआ। सन् 1421 ई. में खिल खाँ की मृत्यु हो गयी।