सहयोग से लाभ और उसका समाजशास्त्रीय महत्व बताइए।

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सहयोग से लाभ और समाजशास्त्रीय महत्व

सहयोग से लाभ अति बलशाली होता है। सबसे मिलकर एकसाथ काम करने से कठिन से कठिन कार्य भी सरल हो जाता है, समय की बचत होती है, और भीषण से भीषण संकट टल जाता है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी सहयोग लाभप्रद होता है। सहयोग से ‘हम की भावना’ (we feeling) पनपती है और पारस्परिक सम्बन्ध घनिष्ठ व पूर्ण होते हैं। उदाहरणार्थ, तीन विद्यार्थी आपस में सहयोग करते हैं- एक पुस्तक पढ़ता है, दूसरा संक्षिप्त नोट्स बनाता है, और तीसरा विचार-विमर्श के लिए आलोचनात्मक विवेचना व प्रश्न प्रस्तुत करता है।

इस प्रकार के सहयोग से वे न केवल कम समय में अधिक पढ़ाई ही कर सकते हैं बल्कि विषय के सम्बन्ध में अधिक से अधिक ज्ञान भी प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों में इससे ‘एकता की भावना भी पनपती है। इस प्रकार व्यक्तिगत रूप में भी सहयोग का अत्यधिक महत्व है। इतना ही नहीं आर्थिक क्षेत्र में भी सहयोग के महत्व को अस्वीकार नहीं किया जा सकता। आज जबकि, , औद्योगिक क्रान्ति का युग है; आर्थिक क्षेत्र में बिना सहयोग के कार्य चल नहीं सकता।

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जब दो या दो से अधिक व्यक्ति किसी वस्तु का निर्माण करने के लिए आपस में सहयोग करते हैं, तभी किसी वस्तु की उत्पत्ति होती है और समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। स्पष्ठ है कि सामाजिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सहयोग का महत्व अद्वितीय है।

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