सामाजिक विभेदीकरण के स्वरूप की विवेचना कीजिए।

सामाजिक विभेदीकरण के स्वरूप निम्नलिखित हैं-

(1) आयु पर आधारित विभेदीकरण (Differentiation boses on Age)

आयु के आधार पर भी विभिन्न समाजों में विभेदीकरण का स्वरूप देखने को मिलता है। समाज में भिन्न-भिन्न आयु के भिन्न-भिन्न समूह बन जाते हैं जिसके आधार पर उनके सामाजिक कार्य और पद निश्चित होते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि आयु के अनुसार ही मानव में परिपक्वता आती है। जैसे किसी जटिल कार्य को एक बच्चा नहीं सीख पाता जबकि एक युवा जल्दी सीख लेता है। इसी प्रकार किशोर, युवा, प्रौढ़ आदि की भी स्थितियां प्रत्येक समाज में अलग-अलग होती हैं। जनजातियों में युवागृहों की स्थापना होती है जिनमें कि युवक एवं युवतियों को अनुशासन की शिक्षा दी जाती है। इसी प्रकार हिन्दू समाज व्यवस्था में आयु के आधार पर ही जीवन को चार भाग ब्रह्मचर्याश्रम, गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थाश्रम और संन्यासाश्रम में विभाजित करने का आदेश दिया गया है।

(2) लिंग पर आधारित विभेदीकरण (Differentiation based on Sex)

स्त्री एवं पुरुष की शारीरिक संरचना में काफी भिन्नता होती है। जैसे स्त्रियों को निर्बल, भावुक, धार्मिक एवं अंधविश्वासी माना गया है, जबकि पुरुषों को तार्किक, उदार, साहसी तथा प्रगतिशील बताया गया है। इसी मित्रता के आधार पर स्त्रियों और पुरुषों में कार्य का विभाजन भी होता है, जैसे घर-गृहस्थी का कार्य स्त्रियां करती हैं, जबकि जीविका पालन, शासन प्रबन्ध आदि से सम्बन्धित कार्य पुरुष करते हैं। वास्तव में कार्यों का यह विभाजन स्त्री और पुरुष में शरीर, स्वभाव, रुचि आदि में अन्तर के कारण भी होता है। उदाहरणार्थ खाना बनाना, सिलाई-कढ़ाई। करना, नृत्य, संगीत आदि स्वियों सरलता से सीख जाती हैं जबकि विज्ञान, गणित से सम्बन्धित क्रियायें, मशीनी कार्य, कठोर परिश्रम व शारीरिक दृढ़ता के ऐसे ही अन्य कार्य पुरुषों को दिये। जाते हैं।

(3) प्रजाति पर आधारित विभेदीकरण (Differentiation based on Race)

प्रजाति मानवों का वह वृहद समूह है जिसके सदस्यों में सापेक्षिक रूप से स्थिर कुछ वंशानुगत शारीरिक लक्षण सामान्य होते हैं जो कि प्रजनन द्वारा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होते हुए भी प्रायः उसी रूप में स्थिर बने रहते हैं तथा जिसके आधार पर एक प्रजाति समूह को दूसरों से अलग किया जा सकता है। प्रत्येक प्रजाति में कुछ निश्चित एवं अनिश्चित शारीरिक विशेषतायें एक-दूसरे से अलग होती है। इन्हीं शारीरिक विशेषताओं के आधार पर एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति को पृथक किया जा सकता है। अमेरिका एवं अफ्रीका में चेत एवं नीम्रो प्रजाति में भेद इसी का उदाहरण है।

(4) आर्थिक विभेदीकरण (Economic Differentiation)

आर्थिक आधार पर भी विभिन्न समाजों में विभेदीकरण देखने को मिलता है। समाज में व्यक्तियों की भिन्न-भिन्न शिक्षा, योग्यता, कुशलता, दक्षता, शारीरिक संरचना व मानसिक विकास सम्बन्धी विशेषतायें होती हैं। इन्हीं विशेषताओं के आधार पर वे अपने व्यवसाय, उद्योग, नौकरी इत्यादि का चुनाव करते हैं। इन भिन्न-भिन्न व्यवसाय तथा उद्योग आदि के आधार पर उनके अलग-अलग समूह भी बन जाते हैं। साथ ही इन विभिन्न समूहों की समाज में स्थिति और कार्य भी भिन्न-भिन्न ही होते हैं।

(5) वर्ग विभेदीकरण (Class Differentiation)

शिक्षा, सम्पत्ति, पेशा इत्यादि के आधार पर में भिन्न-भिन्न वर्ग होते हैं तथा इन विभिन्न वर्गों के बीच में पर्याप्त विभेद होता है। उदाहरणार्थ, आर्थिक आधार पर धनी और निर्धन वर्ग होते हैं। सामाजिक सम्मान के आधार पर उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग, निम्न वर्ग में समाज को विभाजित किया जा सकता है। इसी प्रकार पेशे के आधार पर बाबूवर्ग, अधिकारी वर्ग, शिक्षक वर्ग, डॉक्टर वर्ग तथा व्यापारी वर्ग आदि स्वरूपों का वर्णन किया जा सकता है। उपर्युक्त सभी उदाहरण सामाजिक विभेदीकरण के ही स्वरूप हैं जिसका आधार वर्ग है।

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(6) धार्मिक विभेदीकरण (Religious Differentiation)

धार्मिक आधार पर भी विभिन्न समाजों में अनेक धार्मिक विचारधारा के लोग मिल जायेंगे। उदाहरण के रूप में भारत को ही लिया जा सकता है जहां पर हिन्दू धर्म, सिक्ख धर्म, इस्लाम धर्म, इसाई धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म तथा पारसी आदि धर्म प्रचलित हैं। साथ ही एक धर्म के अन्तर्गत अनेक उपशाखायें भी हैं। इन धर्मों और इनकी उपशाखाओं के आधार पर ही भारत में अनेक धार्मिक समूहों का अस्तित्व बन गया है जिन्हें कि धार्मिक सम्प्रदाय भी कहा जाता है।

(7) अन्य विभेदीकरण (Other Differentiation)

उपर्युक्त आधारों के अतिरिक्त भी समाज में अन्य कई सामाजिक विभेदीकरण के आधार हो सकते हैं। ऐसे विभेदीकरण में शिक्षा, भाषा, राजनीतिक, ग्रामीण एवं नगरीय समूह आदि को सम्मिलित किया जा सकता है। भाषा के आधार पर समाज में अनेक प्रकार के समूहों का निर्माण होता है। उसी प्रकार राजनीतिक समूहों को भी कई समूहों में विभाजित किया जा सकता है।

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