सामाजिक स्तरीकरण क्या है?

0
33

सामाजिक स्तरीकरण

सामाजिक स्तरीकरण का तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके अन्तर्गत एक समाज या समूह को विभिन्न आधारों पर विभक्त किया जाता है क्योंकि समाज में सभी व्यक्तियों की सामाजिक स्थिति एक जैसी नहीं होती है। कुछ व्यक्ति उच्च स्थिति के, तो कुछ निम्न स्थिति के माने जाते हैं। यथा- हिन्दू समाज में ब्रह्मणों की स्थिति अन्य वर्णों की अपेक्षा उच्च मानी जाती है। इसी प्रकार जहाँ वर्ग-व्यवस्था (Class-system) का अधिक महत्व है वहाँ समाज के सभी व्यक्ति आमतौर पर तीन वर्गों में विभाजित होते हैं (1) उच्च वर्ग, (2) मध्यम वर्ग एवं (3) निम्न वर्ग जो व्यक्ति उच्च वर्ग से सम्बन्धित होते हैं उनका समाज में ऊँचा स्थान होता है।

समाज में इस प्रकार की उतार-चढ़ाव की अवस्था को सामाजिक स्तरीकरण कहते है। दूसरे शब्दों में सामाजिक स्तरीकरण का तात्पर्य किसी समाज की उस व्यवस्था से है जिसमें समाज का विभिन्न समूहों में क्रमबद्ध विभाजन होता है। दूसरे शब्दों में सामाजिक स्तरीकरण का तात्पर्य किसी समाज की उस व्यवस्था से है। जिसमें समाज का विभिन्न समूहों में क्रमबद्ध विभाजन होता है और इन समूहों में व्यक्तियों की ऊँच-नीच की स्थिति होती है इसके कारण वे एक-दूसरे को पृथक करते हैं।

परसंस्कृति ग्रहण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here