सामाजिक संरचना की अवधारणा
मैकाइवर एवं पेज ने सामाजिक संरचना को “मानव सम्बन्धों की जटिल व्यवस्था’ माना है। उनके अनुसार सामाजिक संरचना के दो प्रमुख भाग हैं यथा –
- (1) संहिताओं एवं प्रथाओं को स्थायित्व देने वाली शक्तियां (जैसे-रूदियां और सामाजिक नियंत्रण धर्म व आचार, प्रथा व कानून, फैशन व प्रथा आदि) तथा
- (2) प्रकार्यात्मक व्यवस्थायें (संस्थात्मक संकुल सभ्यता और संस्कृति आदि) सामाजिक संरचना के सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाग है।
अतः मैकाइवर एवं पेज ने सामाजिक संरचना को एक विस्तृत अवधारणा माना है तथा इसमें संस्कृति, सभ्यता वैज्ञानिक ढाँचे की प्रकार्यात्मक व्यवस्था (मनोवृत्तियों एवं रुचियों) के शामिल किया है।
मान्टेसरी की शिक्षा पद्धति का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
सामाजिक संरचना हमारे दैनिक जीवन की क्रियाओं को निर्धारित करती है और इसके सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही रूप हो सकते हैं। एक और सामाजिक संरचना व्यक्तिगत स्वतंत्रता में बाधक होती है क्योंकि व्यक्ति को इसके अनुरूप कार्य करना पड़ता है तथा दूसरी ओर सामाजिक संरचना में पाया जाने वाला स्थायित्व ही व्यक्तिगत स्वतंत्रता का लोत है। सामाजिक संरचना के आधार पर ही हम मानवीय व्यवहार के बारे में पूर्वानुमान लगा सकते हैं।