सामाजिक संरचना के तत्त्व बताइये।

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सामाजिक संरचना के तत्त्व

मैकाइवर तथा पेज के अनुसार सामाजिक संरचना के प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित हैं

(1) जनरीतियाँ व प्रथायें

वे जनरीतियाँ तथा प्रक्षायें जो समाज को स्थायित्व प्रदान करने वाली शक्तियों के रूप में मानी जाती हैं सामाजिक संरचना का आधार होती है। इन जनरीतियों तथा प्रथाओं के पीछे समाज की शक्ति निहित है। सामाजिक नियंत्रण का आधार भी सामाजिक रीति-रिवाज ही है।

(2) प्रमुख सामाजिक विधियाँ

मैकाइवर एवं पेज ने प्रमुख सामाजिक विधियों में धर्म, प्रथाओं, कानून, फैशन तथा धुन आदि को रखा है। ये सभी सामाजिक विधियाँ सामाजिक संरचना के विभिन्न स्वरूप है। समाज इन्हीं सामाजिक तत्त्वों से निर्मित होता है।

(3) सामाजिक विधियाँ और व्यक्तिगत जीवन

जनरीतियाँ, रूढ़ियाँ तथा प्रथायें प्रत्येक मानव समाज में इतनी प्रबल और शक्तिशाली बन जाती हैं कि व्यक्ति अपनी इच्छाओं के अनुसार कार्य करने में स्वतंत्र नहीं रह जाता है। उसे वही कार्य करना होता है जिसे करने के लिए समाज उसे स्वीकृति प्रदान करता है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के उद्देश्य बताइये।

(4) सामाजिक संरचना के प्रमुख स्वरूप

मैकाइवर तथा पेज के अनुसार सामाजिक संरचना के स्वरूपों का यदि साक्षात्कार करना है तो वे समाज में पाये जाने वाले विभिन्न समूहों के द्वारा ही सम्भव है। इन समूहों में प्राथमिक व द्वैतीयक दोनों प्रकार के समूह सम्मिलित होते हैं। उदाहरणार्थ- परिवार, ग्राम, नगर, समुदाय तथा धर्म आदि सभी समूह सामाजिक संरचना के विभिन्न अंग हैं। सामाजिक जातियाँ, वर्ग, प्रजातीय समूह सामाजिक संरचना के विभिन्न अंग है।

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