सामाजिक प्रतिमान की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।

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सामाजिक प्रतिमान की अवधारणा

सामाजिक प्रतिमान समाज में व्यवहार करने के वे निश्चित एवं प्रमाणिक तरीके हैं जो समाज द्वारा स्वीकृत और साथ ही जीवन के हर क्षेत्र में विद्यमान हैं। ये नियम हमारे व्यवहारों को नियंत्रित कर उचित एवं अनुचित का भेद स्पष्ट करते हैं।

राबर्ट बीरस्टीड के अनुसार, “सामाजिक प्रमान संक्षेप में कार्य प्रणालियों की प्रमाणिक विधियाँ है, कार्य करने का एक तरीका है, जो हमारे समाज द्वारा स्वीकृत है।”

वुड्स के अनुसार, सामाजिक प्रतिमान वे नियम हैं जो मानव व्यवहार को नियंत्रित करते हैं, व्यवस्था में सहयोग देते हैं तथा किसी विशेष स्थिति में व्यवहार की भविष्यवाणी करना सम्भव बनाते हैं।”

सहयोग से लाभ और उसका समाजशास्त्रीय महत्व बताइए।

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि सामाजिक प्रतिमान समाज में व्यवहार करने के वे निश्चित एवं प्रमाणिक तरीके हैं, जो समाज द्वारा स्वीकृत हैं।

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