सामाजिक प्रस्थिति क्या है? विवेचना कीजिए।

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सामाजिक प्रस्थिति

सामाजिक प्रस्थिति से तात्पर्य ऐसी स्थिति अथवा पद से है, जो व्यक्ति को समाज में प्राप्त होती है। यह पद अथवा प्रस्थिति चाहे व्यक्ति को जन्मजात मिला हो अथवा उसने स्वयं की योगयता द्वारा पाया हो। सामान्यतः बोलचाल की भाषा में हम कह सकते हैं कि अमुक व्यक्ति की सामाजिक स्थिति अच्छी है, जबकि अमुक व्यक्ति की सामाजिक स्थिति खराब है। अर्थात प्रस्थिति समाज में व्यक्ति की प्रतिष्ठा एवं शक्ति पर निर्भर करती है।

प्रकार प्रस्थिति दो प्रकार के होते हैं। जो निम्नलिखित है

  • (i) प्रदत्त प्रस्थिति एवं
  • (ii) अर्जित प्रस्थिति ।

(i) प्रदत्त प्रस्थिति

प्रदत्त प्रस्थिति व्यक्ति को समाज द्वारा प्राप्त होता है। कभी-कभी प्रदत्त प्रस्थिति जन्मजात भी होते हैं, जो पिता के बाद पुत्र को प्राप्त होती है। यथा जाति विशेष का सदस्य होना, पुरुष होना, गोरा अथवा काला होना आदि प्रदत्त प्रस्थिति जाति प्रजाति, लिंग एवं आयु पर अधारित ” होती है।

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(ii) अर्जित प्रस्थिति

अर्जित प्रस्थिति स्वयं द्वारा अर्जित किये जाते हैं। अर्थात् अर्जित प्रस्थित उसे कहते हैं जिसे हम अपनी योग्यता एवं गुणों द्वारा प्राप्त करते हैं। यथा-डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, एवं गायक आदि। इन प्रस्थितियों को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति के शैक्षणिक, व्यावहारिक, चारित्रिक योग्यताओं एवं गुणों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

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