Sociology

सामाजिक मूल्य की परिभाषा एवं विशेषतायें लिखिए।

सामाजिक मूल्य की परिभाषा

राधाकमल मुखर्जी ने लिखा है कि “मूल्य सामाजिक रूप से मान्यता प्राप्त समूह की वे इच्छाएँ अथवा लक्ष्य हैं, जिनका सामाजिक सीख की प्रक्रिया के द्वारा व्यक्ति के जीवन में आन्तरीकरण हो जाता है और इस प्रकार व्यक्ति इन्हीं को अपने व्यवहारों की प्राथमिकताएं, मानदण्ड और आकांक्षाएँ मान लेता है।” इससे स्पष्ट होता है कि सामाजिक मूल्यों का कोई स्थूल रूप नहीं होता। इनका सम्बन्ध समाज द्वारा स्वीकृत उन लक्ष्यों से है जिनके अनुसार व्यक्ति से व्यवहार करने की आशा की जाती है।

जॉनसन के अनुसार, “सामाजिक मूल्य एक सांस्कृतिक मानदण्ड है जिसके द्वारा विभिन्न दशाओं के बीच तुलना की जाती है, उन्हें स्वीकार अथवा अस्वीकार किया जाता है। अथवा एक-दूसरे की तुलना में उन्हें कम या अधिक उपयोगी माना जाता है।” इसका तात्पर्य है। कि मूल्य हमारे व्यवहार की कसौटी हैं। मूल्य ही यह तय करते हैं कि जीवन में कौन-से लक्ष्य अधिक महत्वपूर्ण है तथा इन्हें प्राप्त करने के लिए कौन-से व्यवहार उचित हैं और कौन-से अनुचित ?

फेयर चाइल्ड ने लिखा है, “मूल्य वे विश्वास हैं जिनके आधार पर मानवीय इच्छाओं की संतुष्टि की जाती है।”

इन परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि सामाजिक मूल्य हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन से सम्बन्धित विभिन्न तथ्यों के अर्थ को स्पष्ट करके हमारे दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं। प्रत्येक समाज में परिवार, विवाह, धार्मिक क्रियाओं, जीविका उपार्जन, अतिथि सत्कार, राजनीति तथा सामाजिक स्थिति आदि से सम्बन्धित बहुत-से मूल्य होते हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय समाज में क्षमा, दया, अहिंसा तथा पुरुषार्थ के रूप में धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष आदि कुछ विशेष सामाजिक मूल्य हैं जिनका हमारे लिए एक विशेष अर्थ है तथा यह सभी मूल्य एक विशेष दृष्टिकोण को लेकर हमें विभिन्न व्यवहार करने की प्रेरणा देते हैं। इसी तरह हमारे समाज में विवाह का एक विशेष अर्थ है जो इसे एक धार्मिक बंधन के रूप में स्पष्ट करता है। पश्चिमी समाजों में विवाह

का अर्थ एक सुविधाजनक मैत्री सम्बन्ध में लगाया जाता है। राजनीतिक जीवन में धर्मनिरपेक्षता, न्याय और समानता कुछ विशेष मूल्य हैं। अनेक समाजों में वैयक्तिक स्वतंत्रता को एक महत्वपूर्ण सामाजिक मूल्य के रूप में देखा जाता है, जबकि कुछ दूसरे समाजों के मूल्य स्त्रियों अथवा किशोरों को अधिक स्वतंत्रता देने के पक्ष में नहीं होते। किसी समाज में ईमानदारी से जीविका उपार्जित करना एक महत्वपूर्ण मूल्य है, जबकि कुछ समाजों में इसका कोई महत्व नहीं है।

मूल्यों की विशेषताएँ

(1) सामाजिक मूल्य वह तथ्य है जो समाज द्वारा मान्यता प्राप्त लक्ष्य और इच्छाओं को स्पष्ट करते हैं। यही कारण है कि जिन व्यक्तियों के व्यवहार अपने समाज के मूल्यों के अनुसार होते हैं, उन्हें विशेष सम्मान दिया जाता है।

(2) मूल्यों को व्यक्ति स्वेच्छा से स्वीकार करते हैं। कोई व्यक्ति अपने मूल्यों का व्यक्तित्व में जितना अधिक अन्तरीकरण कर लेता है, उसे सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से उतना ही नैतिक प्राणी माना जाने लगता है। मूल्यों के पालन के लिए व्यक्ति बाध्य नहीं किया जा सकता। व्यक्ति अपने समाज के मूल्यों को कर्तव्य के रूप में स्वीकार करके उनका पालन करते हैं।

(3) मूल्यों की प्रकृति विशिष्ट तथा सार्वभौतिक दोनों तरह की होती है। विभिन्न समाजों की संस्कृति में भिन्नता होने के कारण सामाजिक संस्थाओं, व्यवहार के तरीकों तथा पारस्परिक सम्बन्धों से सम्बन्धित कुछ विशेष मूल्य होते हैं जो एक विशेष संस्कृति के अनुसार लोगों की आवश्यकताओं को व्यवस्थित ढंग से पूरा करते हैं। दूसरी ओर सच्चाई, ईमानदारी, सेवा, कर्तव्य पूर्ति तथा पवित्रता से सम्बन्धित मूल्यों की प्रकृति सार्वभौमिक होती है। क्योंकि इन्हें सभी समाजों में महत्वपूर्ण माना जाता है।

(4) मूल्यों की अभिव्यक्ति प्रतीकात्मक ढंग से होती है। साधारणतया प्रत्येव समाज की प्रमुख गाथाएँ तथा लोक-कथाएँ प्रतीकात्मक रूप से मूल्यों के अर्थ और महत्व को स्पष्ट करती हैं। इसी कारण डॉ. मुकर्जी ने लिखा है कि ‘समाज मूल्यों का ही एक संगठन है।’

(5) गतिशीलता अथवा परिवर्तनशीलता मूल्यों का एक प्रमुख गुण है। जब किसी समाज की सामाजिक-सांस्कृतिक संरचना में परिवर्तन हो जाता है तो बदलती हुई आवश्यकताओं के अनुसार मूल्यों की प्रकृति भी बदल जाती है। उदाहरण के लिए, भारत में स्वतंत्रता से पहले तक सामाजिक मूल्य जाति प्रथा के नियमों, बाल-विवाह, पितृसत्ता तथा दहेज प्रथा आदि के पक्ष में थे लेकिन वर्तमान सामाजिक मूल्य सामाजिक समानता, सामाजिक न्याय और वैयक्तिक स्वतंत्रता को अधिक महत्व देते हैं।

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(6) मूल्यों की विविधताकारी प्रकृति इनकी एक मुख्य विशेषता है। राधाकमल मुकर्जी ने सभी मूल्यों को दो भागों में विभाजित करके स्पष्ट किया है-साध्य मूल्य तथा साधन सम्बन्धी मूल्य साध्य मूल्य सांस्कृतिक लक्ष्यों से सम्बन्धित होने के कारण अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। सत्य, न्याय, अहिंसा और पारस्परिक सहायता से सम्बन्धित मूल्य उच्च सामाजिक लक्ष्यों से सम्बन्धित होने के कारण साध्य मूल्य है। साधन सम्बन्धी मूल्य वह होते हैं जिन्हें कुछ महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने के साधन के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। शारीरिक सुरक्षा, जीवन-निर्वाह, सम्पति, व्यवसाय और स्वास्थ्य से सम्बन्धित मूल्य इनके उदाहरण है। एक औसत मनुष्य का सम्बन्ध साधन मूल्यों से अधिक होने के कारण इन्हें ‘अस्तित्व सम्बन्धी मूल्य’ भी कहा जाता है।

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