सामाजिक जीवन में मूल्यों की भूमिका
किसी संस्कृति से सम्बन्धित मूल्यों का सम्बन्ध चाहे तर्क से हो अथवा विश्वास हो, ये मानवीय व्यवहारों और सामाजिक सम्बन्धों की प्रकृति का निर्धारण करने में इनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण सामाजिक संघर्षों को कम करने में भी मूल्यों का विशेष योगदान होता है। उदाहरण के लिए, समानता, पारस्परिक सहायता, सामाजिक न्याय, कर्तव्यपालन, स्वतंत्रता और अहिंसा आदि ऐसे मूल्य हैं जो संघर्षों को कम करके सामाजिक व्यवस्था को संतुलन बनाये रखते हैं। मूल्यों के प्रभाव से व्यक्ति उन समाज विरोधी कार्यों को नहीं कर पाता जिनसे समाज के विघटित होने का डर रहता है। मूल्य समाज की प्रत्याशाओं के अनुसार लोगों के व्यक्तित्व को एक विशेष साँचे में ढालते हैं। इनकी सहायता से समाज के अनुकूलन करना सरल हो जाता है।
इसी कारण राधाकमल मुकर्जी ने समाज को ‘मूल्यों का संगठन’ कहकर परिभाषित किया है। वास्तव में, मूल्यों की प्रकृति सामूहिक होती है। इसी कारण लोगों की मनोवृत्तियों का निर्धारण करने में यह एक दबाव का काम करते हैं। इस आधार पर वेबर ने यहाँ तक लिखा है कि किसी समाज में मानव व्यवहारों का वैज्ञानिक विश्लेषण करने के लिए यह जरूरी है कि उस समाज के मूल्यों से सम्बन्धित लक्ष्यों और उन्हें प्राप्त करने के साधनों को समझ लिया जाये। परेटो का कथन है कि मूल्यों का सम्बन्ध हमारे जीवन के अतार्किक पक्ष से होने के बाद भी सामाजिक अस्तित्व को बनाये रखने में इनकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। सामाजिक नियंत्रण की स्थापना तथा इसे बनाये रखने के क्षेत्र में मूल्यों की भूमिका को निम्नांकित रूप से समझा जा सकता है
(1) सामाजिक व्यवस्था तथा संतुलन
हमारे सामाजिक जीवन का निर्माण अनेक पक्षों से होता है। इन सभी पक्षों से सम्बन्धित विभिन्न मूल्य ही इन्हें एक-दूसरे से बँधे रहते हैं। उदाहरण के लिए, सामाजिक स्तर पर सामूहिकता, समानता, सुरक्षा और नैतिकता से सम्बन्धित कुछ मूल्य होते हैं। आर्थिक स्तर पर मूल्यों के अनुसार ही व्यक्ति अपनी और अपने आश्रितों की आवश्यकताओं को पूरा करता है। राजनीतिक स्तर पर समानता, स्वतंत्रता, न्याय और अधिकार से सम्बन्धित मूल्य व्यक्ति के व्यवहारों को प्रभावित करते हैं। नैतिक स्तर पर अनेक मूल्य सहयोग, प्रेम, सहानुभूति तथा कर्तव्यपालन को प्रोत्साहन देते हैं। इन सभी मूल्यों के बीच जो कार्यात्मक सम्बन्ध बना रहता है, उसी की सहायता से सामाजिक जीवन में व्यवस्था और संतुलन का गुण उत्पन्न हो पाता है। डॉ. मुकर्जी ने लिखा है, “मूल्यों, सद्गुणों तथा आदर्शों के बिना समाज का अस्तित्व ही सम्भव नहीं है।” अनेक विद्वानों का यहाँ तक विचार है कि वर्तमान समाजों में कानून तथा व्यवस्था की बिगड़ती हुई दशा का सबसे बड़ा कारण आज की बढ़ती हुई। मूल्यहीनता है।
(2) सामाजिक एकरूपता तथा एकता
मूल्यों का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य समाज के विभिन्न समूहों के बीच एकरूपता तथा एकता में वृद्धि करना है। वास्तव में, मूल्यों का विकास सामूहिक एकमत के आधार पर होता है, इसलिए इन्हें सम्पूर्ण समाज की मान्यता मिल जाती है। जब प्रत्येक व्यक्ति अपने समाज के मूल्यों के अनुसार ही व्यवहार करता है तो इससे समाज में एकरूपता को प्रोत्साहन मिलता है। मैक्डूगल ने मनोवैज्ञानिक आधार पर भी मूल्यों के इस महत्व को स्वीकार करते हुए कहा है कि, “स्वीकृत मूल्यों का प्रचलन ही किसी समूह की एकता का आधार होता है। “
( 3 ) व्यक्ति का मानवीकरण
जन्मजात रूप से मनुष्य में वह सभी प्रवृत्तियाँ हैं जो पशुओं में पायी जाती हैं। मूल्य ही वह महत्वपूर्ण आधार है जिसकी सहायता से मानव की पशु- प्रवृत्तियों के प्रभाव को कम करके उसमें मानवीय विशेषताओं को विकसित किया जाता है। विभिन्न मूल्य बहुत सरल ढंग से मनुष्य के संवेगों और इच्छाओं को संतुष्ट करके उसे एक मानव प्राणी बनाते हैं। एक ओर सामूहिकता से सम्बन्धित मूल्य व्यक्ति की आत्मकेन्द्रित प्रकृति का दमन करते हैं तो दूसरी ओर, आर्थिक, वैधानिक तथा नैतिक मूल्य उसे समाज के दूसरे सदस्यों के अनुरूप बनने की प्रेरणा देते हैं। इस दृष्टिकोण से मानवीकरण की दिशा में मूल्यों का एक विशेष योगदान है।
( 4 ) व्यवहारों का निर्देशन
मूल्यों की प्रकृति सामूहिक होने के कारण इनमेंअनिवार्यता तथा बाध्यता का समावेश होता है। इसका अभिप्राय यह है कि मूल्य व्यक्ति पर इस बात का दबाव डालते हैं कि वे उन्हीं के अनुसार व्यवहार करें। समाज की विभिन्न जनरीतियाँ, प्रथाएँ तथा नैतिक नियम भी मूल्यों को प्रभावपूर्ण बनाने का काम करते रहते हैं। इन सबका परिणाम यह होता है कि व्यक्ति उसी तरह से व्यवहार करने लगते हैं जिस तरह के व्यवहार करने का निर्देश उन्हें अपने समाज के मूल्यों द्वारा प्राप्त होता है। मूल्य व्यक्ति के व्यवहारों का निर्देश ही नहीं करते, बल्कि उसे त्रुटि और सुधार की महँगी विधि से भी बचा लेते हैं।
( 5 ) वैयक्तिक अनुकूलन में सहायक
वैयक्तिक दृष्टिकोण से मूल्यों का एक महत्वपूर्ण कार्य व्यक्ति को अपनी सामाजिक दशाओं से अनुकूलन करने में सहायता प्रदान करना है। वास्तविकता यह है कि मूल्य समाज के महत्वपूर्ण लक्ष्यों का निर्धारण करते हैं तथा प्रत्येक परिस्थिति तथा क्रिया के अर्थ को स्पष्ट करते हैं। इससे व्यक्ति सरलतापूर्वक यह समझ लेता है। कि किसी परिस्थिति को किस दृष्टिकोण से देखना उचित है तथा उसके समूह में एक विशेष व्यवहार का अर्थ क्या है? इसके फलस्वरूप, व्यक्ति में मानसिक तनावों और संघर्षों की सम्भावना कम-से-कम हो जाती है। इससे स्पष्ट होता है कि मूल्य व्यक्ति के लिए सामाजिक अनुकूलन में ही सहायक नहीं होते, बल्कि व्यक्ति को स्वयं अपने व्यक्तित्व में अनुकूलन करने में भी सहायता देते हैं।
( 6 ) सांस्कृतिक स्थायित्व
प्रत्येक समाज की संस्कृति के निर्माण में मूल्यों का विशेष योगदान होता है। मूल्यों के आधार पर ही एक समाज के सदस्य यह सीखते हैं कि एक विशेष व्यवहार का अर्थ क्या है? इसके फलस्वरूप, एक समाज के सदस्य न केवल अपने मूल्यों में विश्वास करते हैं, बल्कि सीख की प्रक्रिया के द्वारा आगामी पीड़ियों के लिए इनका संवरण भी कर दिया जाता है। इससे संस्कृति को स्थायित्व मिलता है। सच तो यह है कि एक समाज की सभी जनरीतियाँ, लोकाचार, प्रथाएँ, परम्पराएँ तथा नैतिक नियम उस समाज के किसी-न-किसी मूल्य पर ही आधारित होते हैं। यह सामाजिक प्रतिमान जितने अधिक प्रभावपूर्ण होते हैं, संस्कृति भी उतनी ही अधिक व्यवस्थित और प्रभावपूर्ण बन जाती हैं।
निदानात्मक प्रविधि का क्या अर्थ है?
( 7 ) व्यक्तित्व का संगठन डॉ. मुकर्जी
ने स्पष्ट किया है कि व्यक्तित्व के निर्माण तथा संगठन में भी मूल्यों का महत्व बहुत अधिक है। आपके शब्दों में, “मूल्य-व्यवस्था एक ऐसे धागे की तरह है जो व्यक्तिगत प्रसन्नता, व्यक्तिगत, संतुलन तथा सामाजिक और संस्थात्मक अनुकलन के मोतियों को एक-दूसरे के साथ पिरोता है।” इसका तात्पर्य यह है कि एक ओर विभिन्न मूल्य व्यक्ति को आत्मिक संतुष्टि प्रदान करके उसके व्यक्तित्व को संगठित रखते हैं तो दूसरी ओर, यह व्यक्ति को अपनी सामाजिक दशाओं तथा संस्थाओं से अनुकूलन करने का अवसर देकर उसके व्यक्तित्व को संतुलित बनाते है। यही कारण है कि एक समाज की व्यक्तित्व व्यवस्था बहुत बड़ी सीमा तक उसकी मूल्य-व्यवस्था के अनुसार ढल जाती है।
- InCar (2023) Hindi Movie Download Free 480p, 720p, 1080p, 4K
- Selfie Full Movie Free Download 480p, 720p, 1080p, 4K
- Bhediya Movie Download FilmyZilla 720p, 480p Watch Free
- Pathan Movie Download [4K, HD, 1080p 480p, 720p]
- Badhaai Do Movie Download Filmyzilla 480p, 720p, 1080, 4K HD, 300 MB Telegram Link
- 7Movierulz 2023 HD Movies Download & Watch Bollywood, Telugu, Hollywood, Kannada Movies Free Watch
- नारी और फैशन पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।