सामाजिक गतिशीलता के प्रकार
सामाजिक गतिशीलता के प्रकार – विभिन्न दशाओं में सामाजिक गतिशीलता की प्रकृति एक जैसी नहीं होती। सोरोकिन ने सामाजिक गतिशीलता की प्रकृति को स्पष्ट करने के लिए इसके दो मुख्य प्रकारों का उल्लेख किया है। इन्हें हम समतल गतिशीलता तथा उदग्र गतिशीलता कहते हैं।
समतल अथवा क्षैतिज गतिशीलता
सोरोकिन ने समतल गतिशीलता की प्रकृति को स्पष्ट करते हुए लिखा है, “समतल सामाजिक गतिशीलता का तात्पर्य किसी व्यक्ति अथवा सामाजिक तथ्य का समान स्थिति वाले एक से दूसरे समूह में स्थानांतरण होना है।” इस कथन से स्पष्ट होता है कि समतल अथवा क्षैतिज गतिशीलता वह दशा है जिसमें विभिन्न व्यक्ति अपने व्यवसाय, काम के स्थान अथवा एक विशेष समूह की सदस्यता को छोड़कर उसी के समान स्थिति वाले किसी दूसरे व्यवसाय, स्थान अथवा समूह से सम्बन्धित हो जाते हैं लेकिन इससे उनकी सामाजिक अथवा आर्थिक प्रस्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति एक कार्यालय को छोड़कर समान वेतन अथवा पद पर किसी दूसरे कार्यालय में काम करने लगे, कोई स्त्री तलाक के द्वारा एक परिवार को छोड़कर किसी दूसरे परिवार की सदस्य बन जाए अथवा एक राजनीतिक दल से सम्बन्धित कोई व्यक्ति किसी दूसरे राजनीतिक दल की सदस्यता ले ले तो इससे व्यक्ति की परिस्थितियों में परिवर्तन अवश्य होता है लेकिन उसके अधिकारों, आर्थिक सुविधाओं या सामाजिक सम्मान में कोई परिवर्तन नहीं होता। इस प्रकार समतल गतिशीलता वह है जिसमें व्यक्ति की वर्ग सम्बन्धी सदस्यता बदल जाने के बाद भी उसकी प्रस्थिति पहले जैसी ही बनी रहती है। इस तरह की गतिशीलता बंद तथा खुले हुए दोनों तरह के समाजों में देखने को मिलती है।
फिचर ने लिखा है, “समतल सामाजिक गतिशीलता का अर्थ एक विशेष सामाजिक स्तर से उसी के समान प्रस्थिति वाले दूसरे सामाजिक स्तर में गमन करना है।” वर्टेण्ड के अनुसार, “समतल गतिशीलता वह दशा है जिसमें व्यक्ति एक सामाजिक पद से दूसरे सामाजिक पद या स्थान पर इस तरह गमन करता है जिससे उसके प्रस्थिति-समूह में कोई परिवर्तन नहीं होता।” यह दोनों कथन भी सोरोकिन के समान ही समतल गतिशीलता की प्रकृति को स्पष्ट करते हैं।
सोरोकिन ने समतल गतिशीलता की प्रकृति को स्पष्ट करने के लिए स्थान परिवर्तन, व्यावसायिक परिवर्तन परिवार, नागरिकता, धर्म तथा राजनीति से सम्बन्धित परिवर्तनों का उल्लेख किया है।
(1) भू-भागीय गतिशीलता
कुछ समय पहले तक अधिकांश व्यक्ति उसी गाँव या नगर में जीवन व्यतीत करते थे जहाँ उनका जन्म होता था। वर्तमान युग में नगरीकरण के फलस्वरूप एक बड़ी संख्या में लोग अपने पैतृक निवास स्थान को छोड़कर एक गाँव से दूसरे गाँव, गाँव से नगर तथा एक नगर से दूसरे नगर की ओर स्थान परिवर्तन करने लगे हैं। विभिन्न देशों के बीच भी आप्रवास तथा तथा उत्प्रवास में वृद्धि हुई है। भू-भागीय गतिशीलता से व्यक्ति की प्रस्थिति में सदैव कोई परिवर्तन होना आवश्यक नहीं होता। इसी कारण इसे समतल गतिशीलता का एक विशेष रूप माना जाता है।
(2) व्यावसायिक गतिशीलता
ऐसी गतिशीलता उन लोगों में देखने की मिलती है जो किसी एक कारखाने या कार्यालय की नौकरी को छोड़कर समान प्रस्थिति वाले किसी दूसरे कारखाने या कार्यालय में काम करने लगते हैं। औद्योगीकरण के फलस्वरूप नए व्यवसाय बढ़ने से भी लोगों में एक व्यवसाय को छोड़कर दूसरे व्यवसाय के द्वारा आजीविका उपार्जित करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। इससे अधिकांश लोगों की सामाजिक प्रस्थिति पहले जैसी ही बनी रहती है।
(3) पारिवारिक गतिशीलता
परिवार की सदस्यता में परिवर्तन होना इस दशा का उदाहरण है। बहुत-से स्त्री-पुरुष जब विवाह विच्छेद करके पुनर्विवाह करते है जो उनके परिवार में परिवर्तन हो जाता है, यद्यपि इससे पति-पत्नी की सामाजिक या आर्थिक स्थिति में कोई स्पष्ट परिवर्तन नहीं होता।
( 4 ) नागरिकता से उत्पन्न गतिशीलता
भूमण्डलीकरण के वर्तमान युग में एक बड़ी संख्या में लोग अपने देश की नागरिकता को छोड़कर व्यवसाय के लिए अवसर पाने के लिए किसी दूसरे देश की नागरिकता ग्रहण कर लेते हैं। किसी राष्ट्र की सीमाएँ बदलने से भी इस तरह की गतिशीलता बढ़ती है। उदाहरण के लिए सन् 1962 के बाद तिब्बत पर चीन का अधिकार हो जाने के बाद लाखों व्यक्तियों की नागरिकता में परिवर्तन हो गया। इस तरह के परिवर्तन भी समतल गतिशीलता का प्रकृति को स्पष्ट करते हैं।
( 5 ) धार्मिक गतिशीलता
समतल गतिशीलता का एक मुख्य रूप से एक धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म को ग्रहण करने की प्रवृत्ति के रूप में देखने को मिलता है। उदाहरण के लिए, भारत की अधिकांश जनजातियों में अपने परम्परागत धार्मिक विश्वासों को छोड़कर हिन्दू या ईसाई धर्म को अपनाने की प्रवृत्ति इसका उदाहरण है। अनेक दशाओं में व्यक्ति किसी भी उस धर्म को स्वीकार करने के लिए तैयार हो जाता है जो उसकी रुचियों और मनोवृत्तियों के अनुकूल होता है। एक धर्म से सम्बन्धित विभिन्न पंथों और सम्प्रदायों के बीच होने वाला परिवर्तन भी समतल गतिशीलता का उदाहरण है।
( 6 ) राजनीतिक दलों की गतिशीलता
हमारे समाज में एक राजनीतिक दल से दूसरे राजनीतिक दल की सदस्यता ग्रहण करने, विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा अपने घोषित कार्यक्रमों को बदलते रहने से भी राजनीतिक संरचना में परिवर्तन के तत्व स्पष्ट होने लगते हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में यह समतल गतिशीलता से सम्बन्धित एक प्रमुख दशा है।
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( 7 ) सामाजिक मूल्यों तथा सेवाओं में परिवर्तन
वर्तमान युग में सामाजिक मूल्यों तथा विभिन्न प्रकार की सेवाओं की प्रकृति में इतनी तेजी से परिवर्तन हो रहा है। कि परम्परागत समाज आधुनिक समाजों के रूप में बदलने लगे हैं। यह सामाजिक परिवर्तन का एक विशेष प्रकार है, यद्यपि इस दशा में अधिकांश लोगों की सामाजिक प्रस्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता।
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