रूस की कैथरीन द्वितीय की गृह और विदेश नीति की विवेचना कीजिए।

रूस की कैथरीन द्वितीय – पीटर महान् ने अपनी मृत्यु के समय रूस को एक गौरवशाली और शक्तिशाली देश के रूप में छोड़ा था किन्तु उसके अयोग्य उत्तराधिकारी उसे सम्भाल न सके। 1762 में जारिना ऐलिजाबेथ की मृत्यु के बाद जारिना ऐन का पुत्र पीटर तृतीत रूम की गद्दी पर बैठा, जिसका विवाह जर्मन मूल की लड़की कैथरीन से हुआ था। वह अत्यन्त- बुद्धिमती और तेजस्विनी थी. धर्म और रहन-सहन को अपना अपना लिया था। उसके अर्द्ध- पागल पति पीटर तृतीय के शासन के समय रूस की जनता कैथरीन को ही यथार्थ शासन मानती थी कैथरीन ने अपने पति की अलोकप्रियता से लाभान्वित होकर उसके विरुद्ध एक षड्यंत्र रचकर 1762 में उसे अपदस्थ कर स्वयं को रूस की जारिना घोषिता करते हुए रूम के सिंहासन पर बैठने के बाद कैथरीन द्वितीय ने पीटर महान की नीतियों को पुनः अपनाया तथा यूरोप को प्रमुख शक्यिों के बीच अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया।

कैथरीन महान् की गृहनीति

(1) सत्ता का केन्द्रीकरण

कैथरीन द्वितीय (महान्) एक योग्य और महत्वकांक्षी शासिका थी। उसने पीटर महान की गृहनीति का अनुसरण किया। स्वयं जर्मन राजकुमारी होने के कारण कैथरीन ने रूस के पाश्चात्यीकरण की नीति अपनाई। उसने बड़ी दृढ़ता और विश्वास के साथ सुधार कार्य प्रारम्भ किया। समकालीन प्रबुद्ध आंदोलन दार्शनिकता की रचनाओं से वह अत्यधिक प्रभावित हुई थी। समकालीन प्रबुद्ध निरंकुश शासकों की श्रेणी में उच्च स्थान प्राप्त करने की महत्वाकांक्षा से अनुप्राणित होकर कैथरीन महान् ने रूसी चर्च सेना नौकरशाही और सामन्तों पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित किया।

(2) सामाजिक कार्य

उसने बर्लिन, पेरिस की भाँति रूसी दरबार व समाज का निर्माण करने की इच्छा प्रकट की। उसने नये-नये नगर, विशाल भावन व प्रासाद बनवाये। अब रूस में नये उद्योग धन्थे, नये समाज और विनोद, उत्सव व मनोरंजन की नई पद्धतियों का प्रचलन हुआ। समकालीन साहित्यिक व वैज्ञानिक विचारधारा में उसने विशेष रूचि ली। उसने अनेक स्कूलों और अकादमियों की स्थापना की। उच्च वर्ग के रूसियों को सभ्य समाज की भाषा के रूप में फ्रेंच भाषा सीखने के लिए प्रोत्साहित किया। उसने विदेशी कलाकारों और कवियों को आमंत्रित किया तथा रूसियों को यूरोपीय देशों में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। उसके काल में रूसी साहित्य, काव्य, नाटक आदि में प्रगति हुई।

प्रशासनिक गठन

प्रशासन के क्षेत्र में कैथरीन ने सम्पूर्ण साम्राज्य को कई प्रान्तों, जिलों और उपखण्डों में विभक्त कर दिया। प्रत्येक क्षेत्र के लिए जारिना द्वारा राज्यपाल व उप-राज्यपाल नियुक्त किए जाते थे। कैथरीन ने पीटर महान की ही चर्च पर राजकीय नियंत्रण स्थापित किया। जारशाही की सत्ता में अभिवृद्धि की।

कैथरीन महान की विदेश नीति

पीटर महान् की भाँति ही कैथरीन महान् ने एक शक्तिशाली और आक्रमक परराष्ट्र नीति अपनाई। उसने नीति प्रबुद्ध निरंकुशता नीति द्वारा यूरोपीय राजनीतिज्ञों और दार्शनिकों के समक्ष अपनी रूस की प्रतिष्ठा बढ़ाई, इसी प्रकार युद्ध और विजय की नीति के बल पर उसने रूस को एक महान् व शक्तिशाली यूरोपीय राज्य बना दिया। उसने रूसी सीमाओं का पर्याप्त विस्तार किया। अपनी इस विदेश नीति के अंतर्गत उसने पोलैण्ड और टर्की के राज्यों को पराजित करने का निश्चय किया था। कैथरीन ने सफल कूटनीति द्वारा अपने शत्रुओं का सामना किया तथा रूस की सीमा शक्ति और मर्यादा की वृद्धि के उद्देश्य से उसने सैन्य शक्ति के आधार पर पोलैण्ड तथा टर्की के विस्तृत भू-भागों को आत्मसात् किया।

राज्यारोहण के साथ साथ ही कैथरीन ने 1763 में प्रशा के साथ घनिष्ठ मैत्री सम्बन्ध स्थापित किए। वस्तुतः यह मैत्री फ्रेडरिक महान् और कैथरीन महान् की परराष्ट्र नीति की मुख्य विशेषता थी। रूसी मैत्री के बल पर ही फ्रेडरिक महान् ने आस्ट्रिया के विरूद्ध अन्तिम व निर्णयात्मक सफलता प्राप्त की, परन्तु कैथरीन महान् का मुख्य उद्देश्य था। प्रशा के सहयोग से पोलैण्ड के विभाजन को सम्पन्न करना। 1763 में सेक्सनी के निर्वाचक और पोलैण्ड के राजा आगस्टस तृतीय की मृत्यु के पश्चात् कैथरीन पोलैण्ड में हस्तक्षेप करने का अवसर प्राप्त हुआ। कैथरीन पोलैण्ड में अपना प्रभाव स्थापित करना चाहती थी। पोलैण्ड के राष्ट्रीय संघवादियों ने रूसी हस्तक्षेप का विरोध किया, परन्तु रूसी सेनाओं ने दमन की नीति क्रियान्वित की। अतः कुछ पोलैण्ड के राष्ट्रीय संघवादी नेता टर्की भाग गए। इससे क्रुद्ध होकर रूस से सैनिकों ने टर्की की सीमा में प्रवेश किया, परिणामस्वरूप टर्की के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।

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कैथरीन महान् का मूल्यांकन

कैथरीन महान की गणना यूरोप के 18 वीं शताब्दी के प्रबुद्ध निरंकुश शासकों में की जाती है। उसने अपने प्रयासों से रूस को यूरोप की राजीनीति में प्रतिष्ठित किया। उसने पीटर महान् की नीतियों का अनुसरण करते हुए रूस के राजनीतिक गौरव की वृद्धि और आधुनिकीकरण के लिए निरन्तर प्रयास किए। पीटर महान् ने यदि रूस को यूरोप की एक शक्ति के रूप में प्रतिस्थापित किया, तो कैथरीन महान् ने उसे यूरोप की महाशक्ति बना दिया। उसने पीटर की महान् ‘खुली खिड़की’ के अधूरे स्वप्र को भी साकार कर दिया। उसने पोलैण्ड को तीन बार विभाजित किया और हरबार उसका अधिकांश भाग प्राप्त किया। परिणामस्वरूप रूस का यूरोपीय महत्व अधिकाधिक बढ़ता गया। उसके समय में प्रशा और आस्ट्रिया अपने झगड़ों की निपटारा उसी की मध्यस्थता में करने लगे थे। इतिहासकार ग्रान्ट के अनुसार, “निश्चय ही इस महान् महिला के कारण, जिसने पीटर की परम्पराओं को स्वीकार किया और उनका अनुसरण करने के लिए असीमित शक्ति को प्राप्त किया था, निश्चित रूप से यूरोप को एक बड़ी शक्ति बना।

कैथरीन महान् के कार्यों का मूल्यांकन करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि उसकी महत्ता न केवल समकालीन सभ्यता, संस्कृति व रूस के पाश्चात्यीकरण के प्रति उसके स्वाभाविक आकर्षण में ही है अपितु उसकी राजनीतिज्ञता, कूटनीति और दूरदर्शिता में है। उसमें समसामयिक राजनीतिक प्रश्नों तथा अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं के समझने की अपूर्व प्रतिभा थी। यूरोपीय इतिहास में कैथरीन की महत्ता का एक अन्य कारण यह भी है कि उसने टर्की के प्रति जो दृष्टिकोण अपनाया, उससे यूरोपीय, राजनीति में एक बड़ी जटिल ओर उलझनपूर्ण समस्या का उदय हुआ। यह ‘पूर्वी समस्या’ कहलाती है। यह समस्या उन्नीसवीं और बीसवीं सदी में यूरोपीय इतिहास की प्रमुख समस्या बनी रही। संक्षेप में, कैथरीन ने रूसी सीमाओं का अत्यधिक विस्तार किया। कैथरीन का कथन था, मैं एक गरीब लड़की की भाँति तीन-चार वस्त्रों के साथ रूस आई और रूस ने मुझे बहुमूल्य उपहार प्रदान किया, परन्तु अब मैं उसे अजोव, क्रीमिया और यूक्रेन देकर उस ऋण से मुक्त हूँ। संक्षेप में, पीटर महान् ने रूस को एक यूरोपीय राज्य बनाया और कैथरीन ने रूस को एक शक्तिशाली तथा प्रभावशाली यूरोपीय राज्य बना दिया।

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