राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (NAAC)
राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् (एन.ए.ए.सी.) संस्थान के ‘गुणवत्ता दर्जे’ को समझने के लिए महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों अथवा अन्य मान्यता प्राप्त संस्थानों जैसे उच्चतर शिक्षा संस्थानों (एचईआई) मूल्यांकन तथा प्रत्यायन की व्यवस्था करता है। एन.ए.ए.सी. शैक्षणिक प्रक्रियाओं और उसके परिणामों, पाठ्यक्रम की व्यापकता, शिक्षण ज्ञानार्जन की प्रक्रिया, संकाय सदस्यों, अनुसंधान, आधारभूत सुविधाओं, अध्ययन के संसाधनों, संगठनात्मक ढाँचा, अभिशासन, आर्थिक सुदृढ़ता और विद्यार्थियों को उपलब्ध सुविधाओं से सम्बन्धित संस्थानों के कार्य-निष्पादन के सन्दर्भ में गुणवत्ता मानदंडों के लिए शैक्षणिक संस्थानों का मूल्यांकन करता है।
एन.ए.ए.सी. कार्यालय का विस्तृत परिसर पाँच एकड़ के क्षेत्र में परिव्याप्त है। यह राष्ट्रीय विधि विद्यालय के सामने, बेंगलूरु विश्वविद्यालय के ज्ञानभारती परिसर, नागरभावी में स्थित है। एन.ए.ए.सी. कार्यालय, वास्तुकला की राष्ट्रीय स्तर की खुली स्पर्धा में प्रथम स्थान प्राप्त डिजाइन पर बनी व्यावहारिक और शानदार ईमारत में है। एन.ए.ए.सी. परिसर में कार्बन मुक्त, पर्यावरण-अनुकूल, ऊर्जा संरक्षण और वर्षा जल संरक्षण जैसी प्राथमिकताओं को कार्यान्वित किया गया है। इमारत का डिजाइन अपने आप में अनोखा है, जिसमें छत की खिड़कियों से सारी ईमारत में सूर्य की रोशनी फैल जाती है और खिड़कियों से हवा बहती रहती है, जिस कारण बिजली का उपयोग घट जाता है। हरा-भरा परिसर, पर्यावरण संतुलन, पर्यावरण के संसाधनों का संरक्षण, प्रकृति की सेवा से परिसर में बने खुशनुमा माहौल का सम्मोहक असर होता है। एन.ए.ए.सी. परिसर में सारी आवश्यक सुख-सुविधाओं से युक्त 20 कमरों वाला, पूरी तरह से। सुसज्जित, अतिथि गृह तथा कुछ कर्मचारी आवास एवं निदेशक आवास भी है।
कार्य
दिल्ली में स्थित एन. ए.ए.सी. कार्यालय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन की प्रक्रिया में समन्वय स्थापित कर उत्तरी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों एवं विद्यालयों में जागृति कार्यों को संपन्न करता है इसके अतिरिक्त हिन्दी में विज्ञापन सम्बन्धी सामग्री निर्माण करना, मूल्यांकनकर्ताओं की जानकारी का संवर्धन करना, सरकार, वैधानिक एवं नियामक मण्डलों से सम्पर्क बनाना और रोजमर्रा के कार्यों में केन्द्रीय विभाग के रूप में कार्य करना अन्य कार्य है।
उद्देश्य
इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं
- स्व और बाह्य गुणवत्ता मूल्यांकन, संवर्धन और संपोषण पहलों के संयोजन से गुणवत्ता को भारत में उच्चतर शिक्षा का निर्धारक तत्व बनाना ।
- उच्चतर शैक्षिक संस्थानों या उनकी इकाइयों, अथवा विशिष्ट शैक्षणिक कार्यक्रमों या परियोजनाओं के आवधिक मूल्यांकन एवं प्रत्ययन की व्यवस्था करना।
- उच्चतर शिक्षण संस्थानों में शिक्षण अधिगम तथा अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए शैक्षणिक परिवेश को प्रोत्साहित करना।
- उच्चतर शिक्षा में स्व-मूल्यांकन, जवाबदेही, स्वायत्तता और नव पद्धतियों को प्रोत्साहित
- गुणवत्ता से सम्बन्धित अनुसंधान अध्ययन, परामर्श और प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना। करना तथा गुणवत्ता मूल्यांकन, सम्बर्धन और सम्पोषण के लिए उच्चतर शिक्षा के अन्य हितधारकों को सहयोग प्रदान करना।
- देश के एचईआई के बीच निम्नलिखित मुख्य मूल्यों को बढ़ावा देना-राष्ट्रीय विकास के प्रति योगदान देना, छात्रों के बीच वैश्विक सक्षमताओं को बढ़ावा देना, छात्रों के बीच मूल्य प्रणाली बढ़ाना, प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देना, उत्कृष्टता की खोज करना आदि।
बहुलवाद एवं बहुल संस्कृतिवाद में अन्तर बताइए।
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