राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के गठन, कार्यों तथा शक्तियों की विवेचना कीजिए।

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राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

संगठन (Composition) उच्चतम न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति श्री सगीर अहमद राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के शब्दों में, यह आयोग अपने में एक अद्वितीय विशेषज्ञ संस्था (unique export body) हैं

गठन – इस राष्ट्रीय आयोग में निम्नलिखित आठ व्यक्ति होते हैं

  1. एक अध्यक्ष जो उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति रह चुका हो,
  2. एक सदस्य जो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश हो या रह चुका हो,
  3. एक सदस्य जो किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायमूर्ति हो या रह चुका हो,
  4. दो सदस्यों की नियुक्ति ऐसे व्यक्तियों में से की जायेगी जो मानव अधिकारों से सम्बन्धित विषयों में ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखते हो,
  5. अल्पसंख्यकों के राष्ट्रीय आयोग का अध्यक्ष
  6. अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के राष्ट्रीय आयोग का अध्यक्ष
  7. राष्ट्रीय महिला आयोग का अध्यक्ष (धारा 3)

इसके अतिरिक्त आयोग का एक महासचिव होता है जो मुख्य कार्यपालक अधिकारी के रूप में आयोग द्वारा सौंपे गये कार्यों एवं शक्तियों का निर्वहन करता है।

क्षेत्राधिकार – आयोग की शक्तियों का वर्णन अधिनियम के अध्याय 3 में किया गया है। धारा 12 के अधीन आयोग को निम्नलिखित शक्तियों प्रदान की गई है.

(1) निम्नलिखित के बारे में जांच करना –

  • 1.मानव अधिकारों का उल्लंघन अथवा दुष्प्रेरण और
  • 2. मानव अधिकारों के उल्लंघन का निवारण करने में किसी लोक सेवक द्वारा बरती गई उपेक्षा ।। कमीशन इस प्रकार की जांच पीड़ित व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति की शिकायत पर या स्वतः कर सकता है।

(2) मानव अधिकारों के उल्लंघन से सम्बन्धित किसी न्यायालय में लम्बित मामले में उम्र न्यायालय की अनुमति से हस्तक्षेप करना।

(3) राज्य सरकार को सूचित करके उस सरकार के नियंत्रण में किसी जेल या अन्य संस्था का निरीक्षण करना जिसमें व्यक्तियों को चिकित्सा, सुधार या संरक्षण के लिए रखा जाता है। उनकी दशाओं का अध्ययन करके अपनी रिपोर्ट देना।

(4) मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए संविधान या किसी अन्य विधि में दी गई सुरक्षाओं का पुनरीक्षण करना तथा उनके प्रभावशाली अनुपालन के लिए आवश्यक उपायों की सिफारिश करना।

(5) मानव अधिकारों के उपभोग को अवरुद्ध करने वाले आतंकवादी कार्यों की समीक्षा करने तथा उनके उपचार के उपाय सुझावित करना।

(6) मानव अधिकारों पर संधियों एवं लिखते का अध्ययन करके उनके प्रभावी अनुपालन के लिए सुझाव देना।

(7) मानव अधिकार के क्षेत्र में शोध करना एवं शोधकार्य को प्रोत्साहित करना।

(8) समाज के विभिन्न वर्गों में प्रकाशन, मीडिया, सेमिनार आदि के माध्यम से मानव अधिकार साक्षरता का प्रसार करना तथा मानव अधिकारों के लिए उपलब्ध सुरक्षाओं को जागृत करना।

(9) मानव अधिकारों के क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठनों के प्रयासों को प्रोत्साहित करना।

(10) ऐसे अन्य कार्य करना जिन्हें आयोग मानव अधिकारों कर प्रोन्नति के लिए आवश्यक समझे।

जांच (Investigation) – सम्बन्धी शक्तियां धारा 13 के द्वारा आयोग को शिकायतों # की जांच करने के दौरान वे सभी शक्तियां प्रदान की गई हैं जो सी. पी. सी. 1908 के अधीन एक सिविल न्यायालय को मिली हुई है। जैसे गवाहों को बुलाना एवं उनका परीक्षण करना आदि। जांच पूर्ण होने के पश्चात् कार्यवाही धारा 18 के अनुसार जांच पूरी कर लेने के पश्चात् आयोग निम्नलिखित में से कोई भी कदम उठा सकता है –

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  1. यदि जांच से यह मालूम होता है कि मानव अधिकारों का उल्लंघन किया गया है या किसी लोक सेवक ने ऐसा उल्लंघन रोकने में उपेक्षा बरती है तो कमीशन सम्बन्धित सरकार से सम्बन्धित व्यक्तियों पर अभियोजन चलाने या अन्य कार्यवाही की सिफारिश कर सकता है।
  2. आयोग उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय से उचित निर्देश, आदेश या रिट जारी करने की प्रार्थना कर सकता है।
  3. सम्बन्धित सरकार या प्राधिकारी से पीड़ित एवं व्यक्ति व्यक्तियों या उसके परिजनों को तत्काल राहत प्रदान किये जाने की सिफारिश कर सकता है।
  4. आयोग अपनी जांच रिपोर्ट की प्रति शिकायतकर्ता या उसके प्रतिनिधि को प्रदान कर सकता है।
  5. आयोग अपनी जांच की रिपोर्ट तथा अपनी सिफारिश सम्बन्धित सरकार या प्राधिकारी के पास भेजेगा। तब वह सरकार या प्राधिकारी एक माह के भीतर या आयोग द्वारा मंजूर की गई अवधि के भीतर आयोग को अपनी टिप्पणी भेजेगा तथा की गई या प्रस्तावित कार्यवाही से आयोग को अवगत करायेगा।
  6. आयोग जांच रिपोर्ट, उस पर अपनी सिफारिश और उस पर सम्बन्धित सरकार, या प्राधिकारी की टीका टिप्पणी या की गई कार्यवाही या प्रस्तावित कार्यवाही की रिपोर्ट प्रकाशित करेगा।

आयोग की उपयोगिता – मानव अधिकारों के उल्लंघन के परिणामस्वरूप पीड़ित व्यक्तियों एवं उनके परिजनों को पुनर्वासित करने और उन्हें उचित प्रतिकर दिलाने में आयोग ने इतने कम समय में ही अपनी उपयोगिता सिद्ध कर है।

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