राज्य की परिभाषा तथा महत्व बताइए।

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राज्य की परिभाषा

राज्य की प्रमुख परिभाषायें निम्न है:

बीरस्टीड के अनुसार, “एक सरकार वह समिति है जिसके माध्यम से राजनीतिक रूप से संगठित समाज कार्य करता है।”

आँगबर्न तथा निमकॉफ के अनुसार, “सरकार से तात्पर्य एक ऐसे संगठन से है जो पूरे समूह के लिये व्यवस्था बनाये रखता है।”

सोल्टाऊ के अनुसार, “सरकार से हमारा तात्पर्य उन सब व्यक्तियों, संस्थाओं और साधनों से होता है, जिनके द्वारा राज्य की इच्छा की अभिव्यक्ति होती है तथा उसे क्रियान्वित किया जाता है।”

किंग्सले डेविस के अनुसार, “सरकार एक समूह के नाम पर कार्य करती है, अपनी एकाधिक शक्ति का प्रयोग करती है, किसी एक निश्चित भू-भाग पर शासन करती है तथा उसमें प्रभुसम्पन्नता का गुण है।”

राज्य के महत्व

राज्य के निम्नलिखित महत्व है

(1) शान्ति एवं व्यवस्था का स्थापक

समाज में शान्ति और व्यवस्था की स्थापना राज्य तथा उसकी प्रभुत्व शक्ति द्वारा ही होती है। ऐसे व्यक्ति जो समाज के विरुद्ध कार्य करते हैं, राज्य उनको दण्डित करता है। यह कार्य समाज के किसी अन्य समुदाय के सामर्थ्य के बाहर है। अरस्तु का कहना था, “राज्य मनुष्य के लिए उसी प्रकार अनिवार्य है, जिस प्रकार एक मछली के लिए जल।”

(2) अधिकारों और कर्तव्यों का रक्षक-

व्यक्ति के अधिकारों का अस्तित्व राज्य में ही सम्भव है। राज्य नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित रखता है और कर्तव्यपालन भी लोग राज्य के कारण ही करते हैं।

(3) वाह्य आक्रमणों से सुरक्षा

राज्य बाह्य आक्रमणों से देश की रक्षा कर लोगों की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखता है। यदि राज्य बाय आक्रमणों से देश की रक्षा न करे, तो मानव सभ्यता का विनाश तक हो सकता है।

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(4) शक्तिशालियों से निर्बलों की रक्षा

राज्य निर्बल व्यक्तियों की शक्तिशालियों से रक्षा करता है। यदि राज्य निर्बलों की रक्षा न करे तो समाज में मत्स्य न्याय (जिसकी लाठी उसकी भैंस) स्थापित हो जाएगा और दुर्बलों का अस्तित्व मिट जाएगा। इससे देश में अराजकता और अशान्ति का बोलबाला हो जाएगा।

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