राज्य के नीति निदेशक तत्वों का अर्थ उन आदेशों से है जो इस बात की ओर संकेत करते हैं कि राज्य की नीतियाँ क्या होनी चाहिए? ये तत्व नागरिकों को ऐसी सुविधाएँ दिलाते हैं कि जिनके प्रति नागरिकों के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक है। नीति के (नदशक तत्वों को संविधान में रखने का यह औचित्य (Justification) है कि कोई दल राजनीतिक शक्ति प्राप्त करे, परन्तु उसे इन आदेशों का पालन करना पड़ेगा। कोई इनकी अवहेलना नहीं कर सकेगा क्योंकि भले ही उसे न्यायालय में कानून-भंग के लिए उत्तरदायी न होना पड़े, परन्तु उसे अगले चुनाव में मतदाताओं के समक्ष अवश्य उत्तर देना पड़ेगा।
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अनुच्छेद 37 में नीति-निदेशक तत्वों की प्रकृति के बारे में कहा गया है कि “इस भाग में दिये गये प्राविधानों को किसी न्यायालय द्वारा बाध्यता नहीं दी जा सकती, फिर भी इसमें दिये गये तत्व देश के शासन में मूलभूत और विधि बनाने में इन तत्वों का प्रयोग करना राज्य का कर्तव्य होगा।”