राजतरंगिणी के ऐतिहासिक महत्व – कण की राजतरंगिणी कश्मीर के इतिहास पर संस्कृत भाषा में लिखी सर्वाधिक प्रमाणिक ग्रन्थ है। राजतरंगिणी मूलतः एक रसात्मक काव्य है, परन्तु उसमें दिये गये वर्णन का आधार कल्पना न होकर ऐतिहासिक तथ्य है। कल्हण ने अपने रचना में सांसारिक सुखों की नश्वरता पर ध्यान आकर्षिक करने का प्रयास किया है। घटनाओं का उद्देश्य सहित विश्लेषण ने उसकी रचना को ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण और उपयोगी बना दिया है।
जीन जैकस रूसो और सामाजिक समझौता।
कल्हण की राजतरंगिणी आठ सर्गों में विभक्ते है। इसमें आठ हजार से भी ज्यादा श्लोक है। इसकी विषयवस्तु के निर्माण के लिए पौराणिक श्रोतों, अनुश्रुतियों और मिथकों का प्रयोग किया गया है। इसमें कश्मीर पर शासन करने वाले विभिन्न राजवंशों की सूचियां दी गयी है।
राजतरंगिणी में तिथियों से सम्बन्धित सुनिश्चता नहीं है विशेष तौर पर प्रारम्भिक भाग में तिथि सम्बन्धी अनिश्चितता अधिक है, किन्तु उत्तरार्द्ध की रचनाएं अधिक प्रमाणिक और ऐतिहासिक है। इसमें तत्कालीन राजनैतिक गतिविधियों का विश्लेषण, भौगोलिक स्थितियों का ज्ञान, पारिवारिक इतिहास, मुद्रा के प्रचलन आदि पर अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त होती है।