प्रोटेस्टेन्ट धर्म सुधार आन्दोलन पर प्रकाश डालिए।

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प्रोटेस्टेन्ट धर्म सुधार आन्दोलन – मध्य काल से ही चर्च में अनेक बुराईयाँ उत्पन्न हो गयी थीं, अतः जनसाधारण चर्च और पोप के प्रति असन्तुष्ट हो गया था। पुनर्जागरण आन्दोलन के कारण यूरोप के कई देशों की जनता ने विद्रोह आरम्भ कर दिया था। रोमन कैथोलिक चर्च की शक्ति पश्चिमी यूरोप में अधिक थी, अतः यह विरोध उन्हीं के विरुद्ध था। धर्म सुधार आन्दोलन सर्वप्रथम जर्मनी में मार्टिन लूथर के नेतृत्व में आरम्भ हुआ। उसने प्रचलित धर्माडम्बरों, पोपों के भ्रष्ट और अनैतिक जीवन, धर्माचार्यों की स्वेच्छाचारिता के विरुद्ध प्रोटेस्टेण्ट (विरोध) किया। उसके विचारों से प्रभावित उत्तरी जर्मनी की अधिकांश जनता कैथोलिक धर्म के विरुद्ध हो गयी।

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धीरे-धीरे जर्मनी के अतिरिक्त इंग्लैण्ड फ्रांस, स्विटजरलैण्ड आदि देशों में प्रोटेस्टेन्ट धर्म सुधार आन्दोलन सफलता प्राप्त करने लगा और शीघ्र ही यूरोप के अधिकांश देशों में इसका प्रचार-प्रसार होने लगा।

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