Sociology

प्रतिस्पर्धा का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए।

प्रतिस्पर्धा का अर्थ

प्रतिस्पर्धा का अर्थ प्रतिस्पर्धा उस प्रक्रिया को कहते हैं जब एकाधिक व्यक्ति या समूह आपस में बिना संघर्ष किए हुए किसी ऐसी वस्तु को प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं जो सबको समान रूप से प्राप्त नहीं हो सकती। यह एक असहयोगी सामाजिक प्रक्रिया है। इसमें ईर्ष्या, द्वेष, शोषण आदि की भावना निहित रहती है। परन्तु प्रतिस्पर्धा की प्रक्रिया ने समाज को उन्नति का मार्ग दर्शाया है। इससे व्यक्ति में नये-नये साधनों को पाने की प्रेरणा पैदा होती है। साधारण रूप से वह देखा जाता है कि प्रत्येक समाज में जितनी उसकी आवश्यकताएँ होती है, उतने उसके पास साधन नहीं होते हैं। इसलिए सभी साधनों को प्राप्त नहीं कर सकते।

परिभाषा

सदरलैण्ड के शब्दों में, “प्रतिस्पर्धा कुछ व्यक्तियों अथवा समूहों के बीच उन संतुष्टियों को पाने के लिए होने वाला अवैयक्तिक, अचेतन तथा निरंतर रहने वाला संघर्ष है जिसकी पूर्ति सीमित होने के कारण उन्हें सभी व्यक्ति प्राप्त नहीं कर सकते। “

प्रो. ग्रीन के अनुसार, “प्रतिस्पर्द्धा में दो या दो से अधिक समूह उन लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं जिनमें किसी भी समूह में समझौता करने की आशा नहीं की जाती है।”

बोगार्डस ने लिखा है, “प्रतिस्पर्धा किसी ऐसी वस्तु को प्राप्त करने के लिए होने. वाली होड़ है जिसको मात्रा इतनी अधिक होती कि उसकी माँग को पर्याप्त रूप से पूरा किया जा सकें। ”

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फेयर चाइल्ड के अनुसार, “प्रतिस्पर्धा सीमित वस्तुओं के उपयोग अथवा अधिकार के लिए होने वाला संघर्ष है।”

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