प्रस्थिति एवं भूमिका में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।

प्रस्थिति एवं भूमिका में सम्बन्ध-व्यक्ति को समाज में अनेकों पद प्राप्त होते हैं जिसे वह अपनी योग्यता, कार्य कुशलता, निपुणता एवं प्रतिभा द्वारा प्राप्त करता है, साथ ही वह उनमें सामंजस्य भी स्थापित करता है। इसीलिए जब हम सामाजिक पद शब्द का प्रयोग करते हैं। तो इससे हमारा आशय विभिन्न पदों के योग से होता है। व्यक्ति के सामाजिक पद में चढ़ाव भी आ सकता है। प्रत्येक पद के साथ ही एक विशेष सम्मान भी जुड़ा होता है। कोई पद अच्छा है या बुरा, कठिन या गैर सामाजिक यह उस समाज के व्यावहारिक आदर्शों के द्वारा निश्चित होता है। जैसे विभिन्न मंत्रियों, विद्यालय के प्राध्यापकों को अपने-अपने क्षेत्रों में प्रतिष्ठा समान हो सकती है परन्तु यह नहीं कहा जा सकता है कि सभी मंत्री अथवा प्राध्यापक अपने-अपने कार्यों की भूमिका को समान उत्तरदायित्व एवं कुशलता से पूरा करते हैं।

समाज पर व्यक्ति के प्रभाव का वर्णन कीजिए।

एक ही विद्यालय के समस्त अध्यापकों में अपने कार्यों की कुशलता एवं अकुशलता के कारण किसी को अधिक सम्मान प्राप्त होता है और किसी को कम। कहने का तात्पर्य यह है कि ऊँचे पद पर आसीन होकर भी कोई कम सम्मान पा सकता है तथा कोई व्यक्ति निम्न पद पर होने के पश्चात् अपनी लगन, ईमानदारी एवं उत्तरदायित्वपूर्ण भावना से कार्य करने के कारण अधिक सम्मान प्राप्त कर सकता है।

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