प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपाल के रूप में।

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प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपाल – व्यवस्थापन की समस्त कार्यवाही के संचालन में प्रधानमंत्री ही नेतृत्व प्रदान करता है। वार्षिक बजट सहित सभी सरकारी विधेयक प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार ही तैयार किये जाते हैं। प्रधानमंत्री इस बात का निर्णय करता है कि शासन की नीति कार्यरूप में परिणत करने के लिए। किन कानूनों का निर्माण किये जाने की आवश्यकता है। महत्वपूर्ण कानूनों के लिए विधेयक स्वर्ण प्रधानमंत्री या प्रधानमंत्री के सहयोगियों द्वारा प्रस्तावित किये जाते हैं।

दलीय सचेतक द्वारा यह अपने दल के सदस्यों को आवश्यक आदेश देता है और कौल तथा शकघर के शब्दों में, “सभी विधेयकों के भाग्य का निर्णय प्रधानमंत्री की इच्छानुसार ही होता है।” नेहरू काल, श्रीमती गांधी के कार्यकाल और राजीव गांधी के कार्यकाल के प्रथम ढाई वर्ष इस कथन की पुष्टि करते हैं, और नरसिम्हा राव के कार्यकाल (1991-95) के सम्बन्ध में भी यह आंशिक रूप से सत्य है, लेकिन 1989-91 और 1996-2012 के वर्षों के सम्बन्ध में यह कह पाना सम्भव नहीं है।

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इन वर्षों में जो पाँच प्रधानमंत्री पदारूढ़ हुए, उनमें से किसी को भी संसद के दोनों सदनों में ठोस बहुमत प्राप्त नहीं था, सरकार के साझेदार दलों में भी मतभेद की स्थिति थी, अतः अनेक अवसरों पर सरकार अपनी इच्छानुसार कानूनों का निर्माण करवा पाने में असफल रहीं।

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