प्राचीन मिस्र की सामाजिक संरचना को समझाइये।

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प्राचीन मिस्र की सामाजिक संरचना- दो वर्गों शोषक और शोषित में विभक्त था, परन्तु आधुनिक इतिहासकारों ने मिस सभ्यता को चार वर्गों में संगठित बताया है-अभिजात वर्ग, मध्य वर्ग, निम्न वर्ग और दास वर्ग (कृषि दास भी)।

उच्च वर्ग

अभिजात वर्ग के उच्चस्तरीय तबके में राजा और उसका परिवार, उच्चपदस्थ शासकीय अधिकारी, प्रान्तीय शासक और कुलीन, उच्च पुरोहित और उच्च सैन्य अधिकारी आते थे। यह भूस्वामी वर्ग बड़े भवनों में ऐश्वर्य का जीवन व्यतीत करता था। यही लोग मुख्यतः दासस्वामी थे जो मजदूरों और दासों के श्रम द्वारा उत्पादित धन से जिन्दगी के ऐशो-आराम की सुविधाएं भोगते थे।

मध्यवर्ग

मध्यवर्ग के अन्तर्गत छोटे अधिकारी, लिपिक, अन्यकर्मचारी, अधिकांश पुजारी, छोटे सैन्य अधिकारी और सैनिक, धनी किसान, व्यापारी, कारीगर और शिल्पी आते थे जो सामान्य सुख-सुविधा और साधनों से युक्त थे।

निम्नवर्ग

निम्नवर्ग में छोटे किसान, भूमिहीन मजदूर और बटाईदार थे, जिनका जीवन अभावों और कठोरता की लक्ष्मणरेखा से घिरा हुआ था। इन लोगों से राजकीय निर्माण कार्यों तथा कृषि एवं सिंचाई में बेगार ली जाती थी। यह वर्ग वस्तुतः शक्तिवर्ग था क्योंकि सम्पूर्ण उत्पादन इन्हीं के परिश्रम का मोहताज था और ये श्रमिक अपने अन्नदाताओं के टुकड़ों के मोहताज थे।

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दास वर्ग

दास वर्ग का जीवन कठोर श्रम, दास स्वामी की क्रूरता और केवल जीने मात्र का खाना पाने जैसे यर्थाथ को समेटे हुये था कृषिदासों की स्थिति तो और भी भयावह थी ये बंधुआ मजदूर जमीन को छोड़ने पर अपने प्राणों से हाथ धोने पर मजबूर थे। कठोर श्रम से सम्बद्ध सभी कार्य इसी समुदाय को करने पड़ते थे पिरामिड निर्माण, बाँध, जलाशय नहरें बनाना, दलदली जमीन को सुखाना, शफ से सिंचाई करना इत्यादि।

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