प्लेटो के आदर्श राज्य की अवधारणा
प्लेटो के आदर्श राज्य की अवधारणा प्लेटो के समय यूनान में जो राजनीतिक अराजकता व्याप्त थी उसी की प्रतिक्रिया स्वरूप उसने एक ‘आदर्श राज्य की कल्पना कर उसे रिपब्लिक में प्रस्तुत किया गया है। प्लेटो का आदर्श राज्य सभी आने वाले समय और सभी स्थानों के लिए एक आदर्श का प्रस्तुतीकरण है। उसने आदर्श राज्य की कल्पना करते समय उसकी व्यवहारिकता की उपेक्षा की है।
यद्यपि प्लेटो के विचारों में व्यावहारिकता की कमी है लेकिन हमें उस पृष्ठभूमि को नहीं भूलना चाहिए जिसने उसके मस्तिष्क में ‘आदर्श राज्य की कल्पना जाग्रत की। प्लेटो के समय यूनानी समाज में जो अराजकता व्याप्त थी, उसी के निराकरण हेतु उसने एक आदर्श राज्य की कल्पना की। उसने सभी उपस्थित बुराइयों का निराकरण करने का प्रयास किया।
सामाजिक प्रस्थिति क्या है? विवेचना कीजिए।
अपने देश में व्याप्त तत्कालीन दोषों को देखकर ही उनको दूर करने के लिए उसने ‘आदर्श राज्य‘ की रूपरेखा तैयार की और वह राजनीति से दर्शन की ओर उन्मुख हुआ। उसने राज्य के लिए यह आवश्यक समझा कि शासन का अधिकार केवल ज्ञानी दार्शनिक को ही होना चाहिए जिन्हें ‘अच्छे’ या शुभ का व्यापक ज्ञान है।
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