प्लेटो के आदर्श राज्य के कतिपय मौलिक सिद्धान्त का वर्णन निम्न प्रकार किया जा सकता है
1. न्याय – न्याय आदर्श राज्य का प्राण है जिसका कार्य उत्पादक, सैनिक और शासक वर्गों में संतुलन रखकर उन्हें एकता के सूत्र में बाँधे रखना है, ताकि राज्य के सभी अंग अपने कर्त्तव्यों का पालन करते रहें।
2. राज्य व्यक्ति का विराट रूप है- व्यक्ति की सभी विशेषतायें राज्य में पाई जाती हैं।
3. विशेष कार्य का सिद्धान्त- राज्य या समाज में श्रम विभाजन होना चाहिए ताकि प्रत्येक व्यक्ति अपने विशेष कार्य को पूर्ण दक्षता और योग्यता से पूरा करे और राज्य की आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति करे।
4. नागरिकों के तीन वर्ग- प्लेटो आत्मा के तीन तत्त्वों वासना, उत्साह और विवेक के आधार पर राज्य के नागरिकों को उत्पादक, सैनिक और संरक्षक नामक तीन वर्गों मेंबांटता है।
5. दार्शनिक राजा का शासन – आदर्श राज्य में दार्शनिक राजा का शासन होगा। जब तक राजा दार्शनिक नहीं होंगे तब तक राज्यों में शान्ति और सुशासन स्थापित नहीं हो सकता।
सामाजिक जीवन में मूल्यों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
6. साम्यवाद – प्लेटो ने व्यवस्था की कि सैनिक और शासक वर्ग वैयक्तिक सम्पत्ति न रखें ये कंचन और कामिनी के मोह से मुक्त होकर अपना कर्तव्य पालन करें। यह साम्यवाद उत्पादक वर्ग पर लागू नहीं होता।