फ्रांस के उत्कर्ष में मेजारिन के योगदान पर प्रकाश डालिए।

फ्रांस के उत्कर्ष में मेजारिन के योगदान – मेजारिन का जन्म सन् 1602 ई. में इटली में हुआ था। उसने रोम और स्पेन अपनी धार्मिक शिक्षा पूरी की। पोप ने उसे पेरिस के चर्च में नियुक्त किया था। रिशलू ने उसकी योग्यता से प्रभावित होकर उसे नौकरी प्रदान की थी। रिशलू की मृत्यु के बाद 1642 से 1661 ई. तक मेजारिन ही फ्रांस का वास्तविक शासक रहा। रिशलू के अधूरे कार्य को पूरा करने का श्रेय मेजारिन को ही है। यह सही है कि रिशल सामन्तों को दबाने में सफल रहा। लेकिन वह उन्हें पूर्णतया कुचल नहीं सका था। अतः रिशलू के मरते ही वे पुनः सिर उठाने लगे थे, रिशलू के दाँव-पेंच और धनलिप्सा के कारण मध्यम वर्ग उससे ईर्ष्या करने लगा।

कैम्बे की सन्धि पर टिप्पणी लिखिए।

इस असंतोष का फायदा सामन्तों ने उठाया और अन्तिम बार पूरी ताकत के साथ राजा की शक्ति को चुनौती दी। फ्रांस के उत्कर्ष में मेजारिन का सबसे महत्वपूर्ण योगदान यह था कि उसने फ्रांस के सामन्तों के विद्रोह को (फ्रोण्डे गृहयुद्ध) पूरी तरह समाप्त कर दिया।

मेजारिन ने फ्रांस को समस्त यूरोपीय राज्यों में सबसे अधिक शक्तिशाली और सर्वश्रेष्ठ बनाने का प्रयास किया था। इसमें वेस्टेफेलियाऔर विरैनीज की सन्धियों महत्वपूर्ण सिद्ध हुई। फ्रांस को अग्रगामी देश बनाने में मेजारिन का महत्वपूर्ण योगदान है।

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