फिरोज तुगलक की करनीति के विषय पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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फिरोज तुगलक की करनीति – सन् 1351 ई. में मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु के बाद उसका चचेरा भाई फिरोज तुगलक दिल्ली का सुल्तान बना। वह प्रजा का हितैषी शासक था। उसने प्रजा पर से 24 कष्टकारी कर हटा दिये। फिरोज तुगलक ने केवल चार कर लगाये। इनमें खराज (लगान), खम् (युद्ध में लूटे गये धन का 1/5 भाग), जजिया और ज़कात जजिया गैर मुस्लिमों से लिया जाता था यह उनकी सुरक्षा का कर था। जकात मुसलमानों से लिया जाता था तथा उन्हीं के हितार्थ कार्यों में व्यय कर दिया जाता था। हिन्दुओं पर लगने वाला जजिया कर ब्राह्मणों को भी देना पड़ता था जो उससे पूर्व के शासक नहीं लेते थे। लूट में मिलने वाले धन में फिरोजशाह तुगलक ने राज्य का अंश निर्धारित कर दिया।

फिरोजशाह तुगलक ने सिंचाई कर भी लगा दिया। जो किसान सिंचाई कर के लिए सरकारी नहरों को प्रयोग में लाते थे, उन्हें पैदावार का 1/10 भाग राज्य को सिंचाई कर के रूप में देना पड़ता था। खराज (लगान) पैदावार का 1/5 से 1/3 भाग लिया जाता था।

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इस प्रकार फिरोज तुगलक ने जहाँ अपनी कर नीति से राज्य का राजस्व निश्चित किया वहीं उसने प्रजा के कष्टों को दूर करने के लिए अनेक करों को समाप्त भी कर दिया।

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