फिलिप द्वितीय की विदेश नीति की विवेचना कीजिए।

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फिलिप द्वितीय की विदेश नीति – फिलिप द्वितीय के समय तुर्की का प्रभाव दक्षिणी पूर्वी योरोप में बढ़ चला था। तुक भूमध्य सागर में आधिपत्य स्थापित करने के लिए निरंतर लूटपाट करते रहते थे। तुर्कों के अत्याचार से बचने के लिए सन् 1570 ई. में पोप पायस पंचम की अध्यक्षता में स्पेन, वेनिस, जेनेवा तथा रोम ने एक संप बनाया। इस संघ में सबसे अधिक सक्रिय फिलिप द्वितीय रहा। सन् 1571 ई. में लेपाटो की खाड़ी में भयंकर और निर्णायक युद्ध हुआ। उसमें तुर्की सेना बुरी तरह पराजित हुई।

फिलिप ने फ्रांस के शासक हेनरी द्वितीय (1547-1559) के साथ केटोकम्ब्रेसी की संधि की थी। फिलिप को इंग्लैण्ड सम्बन्धी नीति में भी विफलता का मुँह देखना पड़ा। 1580 ई. में पुर्तगाल का शासक निःसन्तान मर गया, परिणामस्वरूप उत्तराधिकार का प्रश्न उत्पन्न हो गया। सन् 1543 ई. में पुर्तगाल की राजकुमारी मेरी का विवाह फिलिप के साथ हुआ था।

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वैवाहिक सम्बन्धी का सहारा लेकर फिलिप ने पुर्तगाल को स्पेन में मिलाने में सन् 1580 ई. में सफलता प्राप्त कर ली। सन् 1559 में फिलिप ने नीदरलैंड के शासन का भार अपनी सौतेली बहन पारमा की मारप्रेट को सपि।

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