फिलिप द्वितीय कौन था? फिलिप द्वितीय की नीतियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।

फिलिप द्वितीय चार्ल्स पंचम का पुत्र था, जिसका जन्म 27 मई, 1527 ई. में बेलाडालिङ नामक स्थान में हुआ था उसका विवाह 1543 ई. में मात्र 16 वर्ष की आयु में पुर्तगाली राजकुमारी मारिया के साथ हुआ, किन्तु 1545 ई. में प्रथम शिशु को जन्म देवर मारिया का देहान्त हो गया। फिलीप द्वितीय का दूसरा विवाह इंग्लैण्ड की महारानी मेरी ट्यूडर के साथ हुआ, जो अत्यन्त अनाकर्षक स्वी थी।

फिलिप द्वितीय का राज्यारोहण

चार्ल्स पंचम का इकलौता पुत्र होने पर भी • फिलिप द्वितीय सम्पूर्ण हैम्सबर्ग साम्राज्य का उत्तराधिकारी न हो सका, क्योंकि उसके पिता के विशाल साम्राज्य का बंटवारा दो भागों में किया गया था। चार्ल्स पंचम और पवित्र रोमन साम्राज्य का सम्राट पद प्राप्त हुआ था। फर्डिनेन्ड ने वैवाहिक सम्बन्धों के द्वारा हंगरी और बोहेमिया के राज्यों पर भी अधिकार कर लिया था। चार्ल्स पंचम के साम्राज्य का अवशेष भाग फिलिप द्वितीय को प्राप्त हुआ, जिसमें स्पेन, नीदरलैण्ड्स, फ्रेन्च, कॉम्टे, मिलान, सिसली, नेपल्स, पश्चिमी द्वीप समूह, अमेरिका और फिलिपपाइन के स्पेनी उपनिवेश सम्मिलित थे। स्पष्ट है कि उत्तराधिकारी के पुत्र में फिलिप द्वितीय का साम्राज्य अब भी अत्यन्त विशाल था। सन् 1556 ई. में फिलिप द्वितीय का सिंहासनारोहण हुआ।

राज्यकाल की प्रमुख घटनाएँ

प्रोटेस्टेन्ट धर्म का विरोध कैथोलिक धर्म के प्रति फिलिप द्वितीय की पूर्ण भक्ि की स्थापना और निष्ठा थी। उसने चार्ल्स पंचम की राजनीतिक व धार्मिक नीतियों का ही अनुसरण किया। चार्ल्स पंचम की भाँति फिलिप द्वितीय भी समस्त यूरोप में स्पेनी प्रभुत्व करना चाहता था। यूरोपीय राजनीति में स्पेनी प्रभुत्व के स्थापनार्थ उसने सभी प्रकार के साधन अपनाये। प्रोटेस्टेन्ट धर्म से फिलिप द्वितीय को घृणा थी। वह धर्म सुधार आन्दोलन को कैथोलिक चर्च व ईसाई सभ्यता के विरुद्ध एक अभिशप्त आन्दोलन समझता था। उसने समस्त यूरोप में कैथोलिक धर्म की विजय पताका फहराने की प्राण-प्रण से चेष्टा की। स

1559 की कैटियों-काम्ब्रेसिस की संधि के पश्चात् नीदरलैंड्स व फ्रांस में प्रोटेस्टेन्ट धर्म की प्रगति से आशंकित होकर स्पेनी नरेश फिलिप द्वितीय तथा फ्रांसीसी शासक हेनरी द्वितीय ने पारस्परिक राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता का परित्याग कर अपने राष्ट्र में कैथोलिक धर्म की रक्षा व सुधार आन्दोलन का दमन करने का दृढ़ संकल्प किया। परिणामस्वरूप आगामी वर्षों में धार्मिक युद्धों की परम्परा आरम्भ हुई, जिसकी अन्तिम व दुःखद समाप्ति तीस वर्षी युद्ध द्वारा हुई।

नीदरलैंड्स का विद्रोह

फिलिप द्वितीय को नीदरलँड्सवासियों की अभिलाषाओं, आवश्यकताओं और आकांक्षाओं के प्रति कोई सहानुभूति न थी। विद्रोह का प्रमुख कारण आर्थिक था। उसने अपनी मत्वाकांक्षी योजनाओं की पूर्ति हेतु नीदरलैंड्स के प्रदेशों पर करों की मात्रा बढ़ा दी थी। इसके अतिरिक्त नीदरलैंड्स में फिलिप द्वितीय द्वारा व्यापार में अनेक प्रतिबन्ध लगा दिये गए, जिससे नीदरलैंड्स का आर्थिक व औद्योगिक विकास अवरुद्ध हो गया था। यह स्थिति नीदरलैंड्सवासियों को सर्वथा असह्य थी, अतः उन्होंने फिलिप के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। विद्रोह का दूसरा प्रबल कारण राजनीतिक था। विद्रोह का तीसरा कारण धार्मिक था। फिलिप द्वितीय कट्टर कैथोलिक होने के नाते नीदरलैंड्स में प्रोटेस्टेन्ट अनुयायियों पर अत्याचार करने के लिए प्रेरित था। अतः विद्रोह का पथ प्रशस्त हो गया। चौथा कारण था कि नीदरलैंड्स के लोग फिलिप द्वितीय को विदेशी समझकर घृणा करते थे, फिलिप द्वितीय के उत्पीड़क कार्यों से क्षुब्ध होकर व विद्रोह के लिए तत्पर हो गए।

1566 ई. में नीदरलैंड्सवासियों ने सामूहिक रूप से कैथोलिक चर्चों पर आक्रमण कर विद्रोह प्रारम्भ किया। फिलिप द्वितीय ने दमन नीति का आश्रय लिया, फलस्वरूप विद्रोह व्यापक होता चला गया। नीदरलैंड्सवासियों के विद्रोह का नेतृत्व जर्मनी के नासी प्रदेश के राजकुमार विलियम आफ ओरेन्ज ने किया। विलियम ऑफ ओरेन्ज की सहायता इंग्लैण्ड, फ्रांस तथा अन्य जर्मन राज्यों ने की। सन् 1579 ई. में विलियम को विद्रोह में सफलता प्राप्त हुई और उसने उत्तर के सात कैल्विनवादी प्रान्तों को संगठित कर डच गणतंत्र की स्थापना का पथ प्रशस्त किया। 1581 ई. में इन सातों संयुक्त प्रान्त अथवा हालैण्ड का नाम डच गणतंत्र पड़ा। इस प्रकार डचों का स्वतंत्रता युद्ध अन्ततोगत्वा पूर्णतया सफल हुआ। फिलिप द्वितीय अपने उद्देश्य में असफल हो गया।

इंग्लैण्ड के साथ सम्बन्ध

फिलिप द्वितीय को इंग्लैण्ड के विरुद्ध भी असफलत हाथ लगी। इंग्लैण्ड का मुख्य उद्देश्य स्पेन के व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त करना तथा अपने व्यापार वाणिज्य की अभिवृद्धि करना था। फिलिप द्वितीय इंग्लैण्ड में कैथोलिक चर्च की सार्वभौमिकता को स्थापित करना चाहता था। अपने शासन के आरम्भ में इंग्लैण्ड के साथ मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने के उद्देश्य से इंग्लैण्ड की रानी मेरी ट्यूडर के साथ फिलिप द्वितीय ने अपना विवाह कर लिया। मेरी ट्यूडर के पश्चात् (1558 ई.) फिलिप ने एलिजाबेथ के साथ विवाह करने के प्रयास किए, परन्तु अपने उद्देश्य में विफल रहा। वस्तुतः एलिजाबेथ स्पेन के यूरोपीय प्रभुत्व से बड़ी आशंकित व चिन्तित थी। वह इंग्लैण्ड व स्वयं को फिलिप द्वितीय के चंगुल से स्वतंत्र रखना चाहती थी। अतः एलिजाबे

ने प्रोटेस्टेन्ट धर्म को अपनाया व फिलिप की योजनाओं को विफल बनाने की चेष्टा की। उसने फिलिप के विरुद्ध विद्रोही नीदरलँड्सवासियों को आर्थिक सहायता दी। स्पेन के साथ संघर्ष में (स्पेनिश नौ सेना) को नष्ट कर दिया। आर्मेडा की पराजय व विनाश के फलस्वरूप फिलिप द्वितीय की यूरोपीय धार्मिक नीति विलीन हुई, नीदरलैंड्स का राष्ट्रीय विद्रोह सफल हुआ। समुद्रों पर से स्पेन का प्रभुत्व समाप्त हो गया और इंग्लैण्ड यूरोप का सर्वाधिक शक्तिशाली नौ शक्ति बन गया।

फ्रांस के साथ सम्बन्ध

फिलिप फ्रांस के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप कर स्पेनी प्रभाव का विस्तार करना चाहता था। 1559 ई. से 1589 ई. तक कैथरीन डी मैडिसी यहाँ की संरक्षिका व वास्तविक शासिका थी। इस काल में फ्रांस में आन्तरिक अराजकता विद्यमान थी। अतः फिलिप को हस्तक्षेप करने का अवसर प्राप्त हुआ। फ्रांस के आन्तरिक मामलों में फिलिप अधिकाधिक रूचि रखने लगा । अन्ततोगत्वा फ्रांस में तीन हेनरिक (फ्रांस का सत्तारूढ़ नरेश हेनरी तृतीय, गीज परिवार का इयुक हेनरी; नावारे का बोबों हेनरी) का युद्ध 1588-89 ई. में हुआ, जिसमें नावारे का बोर्बो हेनरी सफल रहा। उसने हेनरी चतुर्थ की उपाधि के साथ फ्रांस के सिंहासन को सुशोभित किया। हेनरी चतुर्थ की कूटनीति, रणकुशलता, राजनीतिक विवेक, बुद्धिमत्ता के समक्ष द्वितीय की निरर्थक हस्तक्षेप नीति के परिणामस्वरूप फ्रांसीसी राष्ट्र-प्रेम, राष्ट्रीय संगठन तथा स्वातन्त्रय की पुष्टि हुई। कालान्तर में यूरोपीय राजनीति में फ्रांस केन्द्र बिन्दु बन गया तथा अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में फ्रांसीसी प्रभुत्व की स्थापना हुई।

प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यपाल के रूप में।

तुर्की के साथ युद्ध

भूमध्य सागर में तुर्कों का आतंक छाया हुआ था। अतः तुर्कों के संकट का सामना करने के उद्देश्य से 1570 में पोप पायस की अध्यक्षता में जेनेवा, वेनिस, रोम तथा स्पेन ने मिलकर एक लीग बनायी। फिलिप द्वितीय ने अपने भाई डान जीव के नेतृत्व में लीग की नौ सेना ने 1571 में लैपेन्टों के युद्ध में तुर्कों को पराजित किया प्लेपैन्टों की विजय से कैथोलिक जगत् तथा विशेषकर स्पेन में हर्ष छा गया। इसके पश्चात् तुर्कों की प्रगति अवरुद्ध हो गयी। स्पेनी नरेश फिलिप के गौरव में वृद्धि हुई।

पुर्तगाल का विलय

1543 में पुर्तगाल की राजकुमारी मेरी की शादी फिलिप के साथ सम्पन्न हुई थी। 1850 में जब पुर्तगाल के निःसन्तान राजा चार्ल्स पंचम की मृत्यु हो गयी तो, फिलिप द्वितीय ने अपने वैवाहिक सम्बन्ध के आधार पर पुर्तगाल पर अपना शासन स्थापित करने का प्रयत्न किया तथा स्पेनी सेना भेजकर पुर्तगाल पर अधिकार कर लिया। पुर्तगाल को स्पेनी साम्राज्य में संयोजित कर लिया, परन्तु फिलिप के पुर्तगाली नीति विफल सिद्ध हुई। पुर्तगालियों ने स्पेन की सम्प्रभुता के विरुद्ध संघर्ष प्रारम्भ कर दिया।

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