फिलिप द्वितीय का चरित्र वर्णन कीजिए।

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फिलिप द्वितीय का चरित्र – अंग्रेज इतिहासकारों के अनुसार, फिलिप द्वितीय एक असहिष्णु कैथोलिक निरंकुश और कट्टर शासक था, जबकि स्पेन के लोग उसे देश भक्त महान् शासक और राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत बताते हैं। वास्तव में वह कट्टर कैथोलिक था और उसके जीवन का प्रमुख उद्देश्य कैथोलिक सम्प्रदाय को यूरोप का सार्वभौम धर्म बनाने का था। उसकी राजनीति सदैव ही धर्म से प्रभावित रही। नीदरलैंड में इन्क्कीजीशन नामक न्यायालयों की स्थापना इसी के कारण हुई थी।

जीन जैकस रूसो और सामाजिक समझौता।

वह स्वभाव से अत्यन्त हठी, अविश्वासी और संदेह करने की प्रवृत्ति वाला व्यक्ति था, अतः उसने अपने साम्राज्य की सभी समस्याओं का निवारण स्वयं ही करने का प्रयास किया। वह राजनीति और कूटनीति के प्रश्नों को सुलझाने में असमर्थ था। इस पर भी वह सिद्धान्तवादी आदर्शवादी, अदम्य इच्छा-शक्ति और अपूर्व क्षमता वाला शासक था।

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