पश्चिमी चालुक्यों के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख

पश्चिमी चालुक्यों के इतिहास

गुजरात के चालुक्य वंश का इतिहास हम मुख्य रूप से जैन लेखकों के ग्रन्थों से ज्ञात करते हैं। ये लेखक चालुक्य शासकों की राजसभा में निवास करते थे। इन ग्रन्थों में हेमचन्द्र का द्वाश्रयकाव्य, मेरुतुंगकृत प्रबन्धचिन्तामणि, सोमेश्वरकृत कीर्तिकौमुदी, जयसिंहसूर का कुमारभूपालचरित, आदि का उल्लेख किया जा सकता है जिनके अध्ययन से हम इस वंश के शासकों की राजनैतिक तथा सांस्कृतिक उपलब्धियों का विवरण प्राप्त करते है। भारतीय साहित्य के अतिरिक्त मुसलमान लेखकों अलगर्दीजी, इब्न-उल-अतहर, हसन निजामी आदि के विवरणों से तुर्कों तथा चालुक्यों के संघर्ष का परिचय प्राप्त होता है चालुक्य राजाओं के लेख भी मिलते हैं जो न्यूनाधिक रूप से उनके इतिहास पर प्रकश डालते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण लेख कुमारपाल की वाडनगर प्रशस्ति (9715) है जिसकी रचना श्रीपाल ने की थी।

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इसके अतिरिक्त तलवाड़ा, उदयपुर (मिलसा) कादि आदि लेखों से जयसिंह कुमारपाल, भीम द्वितीय आदि चालुक्य राजाओं की उपलब्धियों का विवरण मिलता है। इन सभी साक्ष्यों के आधार पर चालुक्य इतिहास का वर्णन प्रस्तुत किया जायेगा।

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