पर्यावरणीय शिक्षा का लक्ष्य एवं उददेश्य बताइये।

पर्यावरण शिक्षा के लक्ष्य एवं उद्देश्य

पर्यावरण शिक्षा के लक्ष्य और उद्देश्यों के निर्धारण का प्रारम्भ वस्तुतः IEEP द्वारा आयोजित उस प्रथम अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण शिक्षा कार्यगोष्ठी से हुआ जिसका आयोजन 13 से 22 अक्टूबर 1975 के मध्य बेलग्रेड (यूगोस्लाविया) में हुई थी। इस कायगोष्ठी की मुख्य उपलब्धि ‘बेलग्रेड घोषणा पत्र’ (Belgrade Charter) तथा जिसमें भारी बहुमत से सभागियों ने पर्यावरण शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया और पर्यावरणीय शिक्षा के कार्यक्रम की दिशा और मार्गदर्शन बिन्दुओं को अंतिम रूप दिया गया। पर्यावरण शिक्षा के इतिहास में यह पहली इस प्रकार की प्रारम्भिक कार्यगोष्ठी थी जिसमें विश्व में 60 राष्ट्रों के 96 प्रतिनिधियों ने अपना मत पहले से तैयार किये गये शोध परों ओर दस्तावेजों के आधार पर प्रस्तुत किया था इस कार्यगोष्ठी में

  1. पर्यावरण के लिए लक्ष्य (Environmental Goals)
  2. पर्यावरणीय शिक्षा के लिए लक्ष्य (Environmental Education Goals)
  3. पर्यावरणीय शिक्षा के उद्देश्य (Environmental Edudation Objecties) निर्धारित किये गये।

विश्व के पांचों क्षेत्र अफ्रीका अरब राज्य, एशिया, यूरोप तथा उत्तरीय व दक्षिणी अमेरिका के प्रतिनिधियों ने सभी स्तर के विद्यार्थी वे युवकों के लिए पर्यावरण शिक्षा के कार्यक्रम पर विचार विमर्श किया।

इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यगोष्ठी के आधार पर पांच क्षेत्रीय बैठकें निम्न प्रकार आयोजित हुई। यह सभी बैठकें पर्यावरण शिक्षा के विशेषज्ञों के लिए थी और इनका लक्ष्य निकट भविष्य में एक अन्य होने वाले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए अपनी-अपनी अभिशंसाएं देना था।

इस बेलग्रेड वर्कशाप में कम से कम पन्द्रह (15) दस्तावेजों को अंतिम रूप दिया गया, जो बाद में तिविलिसी (14-26 अक्टूबर 1977) अंतर्राज्यीय कान्फ्रेंस का आधार बने। यहां ही यह निर्णय लिया गया कि विश्व के सभी लोगों के लिए समान तथा व्यापक रूप से पर्यावरण शिक्षा के ऐसे वस्तुनिष्ठ उद्देश्य स्वीकार किये जाने चाहिए जो अत्यंत व्यावहारिक हों और समूची पर्यावरणीय समस्याओं को आत्मसात कर सकते हो।

इन सभी प्रक्रियाओं के फलस्वरूप तथा 1. बेलग्रेड वर्कशाप, 2. पर्यावरण शिक्षा पर विशेषज्ञों की क्षेत्रीय बैठकें और तिबलिसी सम्मेलन की अभिशंसाओं के आधार पर पर्यावरण शिक्षा के लक्ष्य (Aims), उद्देश्य (Objectives) निर्धारित किये गये जो यहां प्रस्तुत है

1. पर्यावरण शिक्षा के लक्ष्य (Aims of Environmenal Education)

  1. शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और पारिस्थितिकी की परस्पर आवलम्बिता के बारे में स्पष्ट जानकारी का विकास करना और इसमें रुचि बनाये रखना
  2. प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण संस्था ओर सुधार के लिए बांछनीय ज्ञान, मूल्य, मनोवृत्ति, वचनबद्धता और कौशल प्राप्त करन के अवसर प्राप्त प्रदान करना।
  3. पर्यावरण से प्रति व्यक्तिशः समूह और समाज में नये व्यवहारिक दृष्टिकोण का निर्माण करना।

2.पर्यावरण शिक्षा के उद्देश्य (Objectives of Environmental Education)

पर्यावरण शिक्षा सभी व्यक्ति तथा समाज समुदाय को

  1. जागरूकता (Awareness) – सम्पूर्ण पर्यावरण और उससे संबंधित समस्याओं के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता देने में सहायक हो ।
  2. ज्ञान (Knowledge)- सम्पूर्ण पर्यावरण और उससे संबंधित समस्याओं की आधारभूत समझ प्राप्त करने तथा उसमें मनुष्य की जिम्मेदारी की भूमिका निभाने में सहायक हो।
  3. अभिवृत्ति (Attitude) पर्यावरण के लिए गहरी चिंता करने, सामाजिक दायित्व निमाने तथा उसकी सुरक्षा और सुधार लाने के लिए किये जा रहे कार्यों में प्रेरित करने में सहायक हो।
  4. कौशल (Skills)- पर्यावरण समस्याओं के हल खोजने के कौशल प्राप्त करने में सहायक हो।
  5. मूल्यांकन कुशलता (Evaluation Ability)- पर्यावरणीय उपाय तथा शैक्षिक कार्यक्रमों को पारिस्थितिक, राजनीतिक, आर्थिक सामाजिक सौन्दर्यपरक और शिक्षक घटकों के परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन करने में सहायक हो।
  6. संभागिता (participation)- पर्यावरणीय समस्याओं तथा समस्याओं के उचित ढंग से हल निकालने की आवश्यकता के प्रति महत्ता और जिम्मेदारी की भावना विकसित करने में सहायक हो।

इन्हीं उद्देश्यों के आधार पर विश्व के अलग-अलग देशों में स्थानीय परिवेश में पर्यावरण शिक्षा के उद्देश्य प्रसारित हुए हैं। मूल में सभी उद्देश्यों में बेलग्रेड चार्टर के शब्दों में

धर्म में आधुनिक प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।

“पर्यावरण को सम्पूर्ण रूप से देखो चाहे यह प्राकृतिक हो अथवा मानवकृत और चाहे वह पारिस्थितिक, राजनीतिक, आर्थिक, औद्योगिकीय, सामाजिक, वैधानिक, सांस्कृतिक और सौन्दर्यपरक हो।”

(Consider the environment in its totality-natural or manmade, ecological, political, economic, technlogical, social, legislative, cultural and aesthetic.. From Trends in Environmental Education.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top